धर्म में आडंबर का निराकरण ही भागवत कथा का मुख्य प्रयोजन है - प्रो. सुधाकर त्रिपाठी
प्रो. राम सलाही द्विवेदी ने धर्म निष्ठा,शास्त्र निष्ठा,योग व सांख्य का रोचक प्रतिपादन किया
आजमगढ़: उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी, गांधी शताब्दी स्मारक पी.जी. कॉलेज कोयलसा, आजमगढ़ एवं चतुर्वेदी संस्कृत प्रचार संस्थान, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में आज दिनांक 08.02.2025 को वर्चुअल माध्यम से श्रीमद् भागवत पुराणाश्रित राष्ट्रीय व्याख्यान गोष्ठी संपन्न हुई। इस व्याख्यान गोष्ठी के विशिष्ट वक्ता प्रो. राम सलाही द्विवेदी ने धर्म निष्ठा, शास्त्र निष्ठा, योग एवं सांख्य का बहुत ही रोचक ढंग से प्रतिपादन किया। उनका कथन था कि जब तक प्रत्येक वस्तु में भागवत का अनुभव नहीं होगा तब तक संसार में सामंजस्य एवं सद्भाव की स्थापना संभव नहीं है। भागवत वस्तुतः इसी का उपदेश देता है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं अध्यक्ष प्रो. सुधाकर त्रिपाठी ने 'सर्वम खलु इदम ब्रह्म' का आशय स्पष्ट किया एवं बताया कि धर्म में आडंबर का निराकरण ही भागवत कथा का मुख्य प्रयोजन है। भागवत कथा से कलयुग का प्रभाव कम होता है तथा सतयुग की अवधारणा प्रबल होती है। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. चंद्रकांत दत्त शुक्ल, संयुक्त संयोजक डॉ. शिवाकांत पांडे, समन्वयक डॉ. स्वस्तिक सिंह, प्राचार्य जी.एस.एस. पी.जी. कॉलेज कोयलसा, डॉ. संजना, डॉ. अनुराग मिश्रा, डॉ. रमेश पांडे आदि पूरा महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. धनंजय मणि, जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने किया तथा कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिवाकांत पांडे ने किया।
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