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आजमगढ़: नहाय-खाय के साथ तेज हुईं सूर्योपासना की तैयारियां



छठ पूजा के सामानों से सज गए सभी बाजार, पहुंचने लगे खरीदार

नदी-सरोवर के किनारे अंतिम दौर में पहुंचा बेदी बनाने का काम

आजमगढ़: नहाय-खाय के साथ मंगलवार को सूर्याेपासना के महापर्व डाला छठ की तैयारियां तेज हो गईं। पर्व को लेकर जिले भर में उत्साह का माहौल दिख रहा है। पहले दिन भोजन में लौकी मिश्रित चने की दाल, चावल और रोटी का सेवन करने के साथ आगे की तिथियों के अनुसार लोग जरूरी सामान की व्यवस्था में जुट गए हैं। वहीं घाटों की सफाई और बेदी बनाने का काम अंतिम दौर में पहुंच गया है। हालांकि यहां ज्यादातर महिलाएं केवल छठ के दिन व्रत रखती हैं, लेकिन जहां तीन दिन का व्रत होता है वहां सुबह से ही घर की साफ-सफाई के बाद भोजन तैयार करने में महिलाएं जुट गई थीं, तो साथ में स्नान कर परिवार के अन्य सदस्य भी उनका सहयोग कर रहे थे। व्रती के भोजन के बाद परिवार के अन्य सदस्यों ने भोजन किया और उसी के साथ पूजा की तैयारी तेज हो गई। चार दिवसीय डाला छठ व्रत के दूसरे दिन यानी पंचमी को दिन भर महिलाएं निराजल व्रत रहेंगी और शाम को एक बार भोजन ग्रहण करेंगी। इस दिन को कहीं-कहीं ज्ञान पंचमी, तो बिहार में बोलचाल की भाषा में खरना कहा जाता है। दूसरे दिन शाम को गाय के दूध में गुड़ व साठी के चावल की खीर और शुद्ध आटे की पूड़ी बनाई जाएगी तथा उसे व्रती महिलाएं एक बार ग्रहण करेंगी। उसमें भी पुरानी परंपरा यह है कि भोजन के दौरान अगर किसी ने पुकार दिया अथवा उसमें कंकड़ आदि निकल गया तो उसके साथ ही भोजन छोड़ दिया जाता है। भले ही हलक के नीचे पहला निवाला ही क्यों न गया हो। गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्यदान किया जाएगा।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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