बस रोकवाने के बाद गोली मार कर वर्ष 2001 में की गई थी हत्या
आजमगढ़ : हत्या के मुकदमे में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने चार को आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को 21 हजार 800 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर पांच संतोष कुमार यादव की अदालत ने सुनाया। मेंहनगर थाना क्षेत्र के बासूपुर निवासी महेश यादव के पिता राम अवध यादव की आठ सितंबर 2001 को हत्या कर दी गई थी। हत्या के आरोप में गांव के ही बेलास यादव का भाई देवलाश जेल में बंद था। महेश के चाचा रामरूप यादव इस मुकदमे में मुख्य गवाह थे। इस मुकदमे की पैरवी के लिए 22 सितंबर 2001 की सुबह महेश तथा रामरूप और कुछ अन्य लोग बाइक व बस से पैरवी करने के लिए दीवानी कचहरी जा रहे थे। इस बस में गुड्डू उर्फ अमरनाथ पहले से बैठा था। रास्ते में राजघाट पुल के पास आरोपी बेलास, सुदर्शन सिंह, विजय सिंह निवासी असौसा थाना मेंहनगर ने बस को रोकवा दिया। बस में घुसकर बेलास ने रामरूप को निकट से गोली मार दी। इससे मौके पर ही रामरूप की मौत हो गई। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद सभी आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित किया। अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रमोद कुमार सिंह ने रमेश, महेश यादव, निर्मल श्रीवास्तव, राम अवध वर्मा तथा गुरु चरण पांडेय को बतौर गवाह न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों के दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने सुदर्शन सिंह, विजय कुमार सिंह, गुड्डू उर्फ अमरनाथ तथा बेलास को आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को 21800 - 21800 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
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