15 नवंबर 1994 को कमिश्नरी की घोषणा के साथ उसे तुरंत क्रियाशील भी करा दिया था...
आजमगढ़: मंच पर कमिश्नर को लेकर मुलायम सिंह यादव ने जिले को कमिश्नरी बनाने की घोषणा की तो नेता जी की यह अदा भा गई थी लोगों को। तालियों से गूंज उठा सभा स्थल गवाह था कमिश्नरी बनने का। 15 नवंबर 1994 से पहले गोरखपुर मंडल का हिस्सा आजमगढ़ हुआ करता था। जौनपुर वालों के विरोध पर उसे वाराणसी मंडल में ही रहने दिया था। वह दिन आज भी पुराने लोगों काे याद है जब दूसरी बार सूबे का मुख्यमंत्री बनने के बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव जिले में सभा करने आए थे। विकास की अन्य घोषणाें के साथ उन्होंने आजमगढ़ को मंडल मुख्यालय बनाने की घोषणा की थी। लेकिन उससे पूर्व अपने साथ लाए कमिश्नर प्रेम नारायण को मंच से ही लोगों को परिचित कराया, बोले ये होंगे आजमगढ़ के पहले मंडलायुक्त। 15 नवंबर 1994 को उन्होंने कमिश्नरी के गठन की घोषणा के साथ उसे तुरंत क्रियाशील भी करा दिया था, ताकि विधिक शुरुआत हो जाए। इसके पीछे की मंशा बाद में समझ में आई। दरअसल उस समय के पूर्वांचल के एक बड़े नेता मऊ को कमिश्नरी बनवाने के पक्ष में थे, इसलिए नेताजी ने अपना दांव चलते हुए तुरंत क्रियाशील करा दिया, ताकि उनकी घोषणा के बाद कोई अड़चन न आए। घोषणा के समय उन्होंने बताया था कि मंडल में आजमगढ़, मऊ, बलिया और जौनपुर को शामिल किया गया है। बाद में जौनपुर से उनके फैसले के खिलाफ आवाज उठने लगी। जौनपुर के लोग चाहते थे कि वह वाराणसी मंडल का हिस्सा बने रहें। वहां के लोगों की आवाज का भी नेताजी ने सम्मान किया और जौनपुर को वाराणसी मंडल में ही शामिल रखने का फैसला ले लिया। पहले आजमगढ़ जिला गोरखपुर मंडल का हिस्सा हुआ करता था और यहां के लोगों को कमिश्नरी के काम के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। इस समस्या को यहां के लोगों ने सरकार बनने पर उनके सामने रखा ताे उन्होंने उसे महसूस करके आजमगढ़ मंडल बनाने का फैसला लिया था।
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