बंद पड़ी सठियांव चीनी मिल की जगह बनवा दी एशिया की दूसरी सबसे बड़ी चीनी मिल
आजमगढ़: वर्ष 2008 से बंद पड़ी दी किसान सहकारी चीनी मिल सठियांव की 2015 में मुलायम सिंह यादव ने आधारशिला रखी थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में चीनी मिल मुद्दा भी बना था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जोर-शोर से इसकी मांग उठी थी। नेता जी नहीं रहे की खबर की खबर ने सोमवार को उनके लाखों चाहने वालों को सकते में डाल दिया। लाजिमी भी कि वो इटाव काे दिल तो आजमगढ़ को धड़कन बताते थे। उन्होंने आजमगढ़ के माथे पर लगा उद्योग शून्य जिले का दाग भी 333 करोड़ की लागत वाली चीनी मिल का लोकार्पण कर धो दिया था। उन्होंने सांसद रहते एक साथ 553 करोड़ 99 लाख 16 हजार रुपये की 38 परियोजनाओं लोकार्पण और 665 करोड़ 83 लाख 16 हजार रुपये की 35 परियोजनाओं का शिलान्यास कर जनपदवासियों को एहसास कराया था कि वाकई उनका दिल आजमगढ़ के लिए धड़कता है। उनका प्रयास ही था कि किसानों की उम्मीद और बहुप्रतीक्षित मांग दि किसान सहकारी चीनी मिल सठियांव को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हरी झंडी दे दी थी। मार्च 2016 में मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव को लेकर सठियांव पहुंचे और गन्ना मशीन में डाला तो पेराई का काम शुरू हो गया था। आजमगढ़- मऊ जनपद की सीमा पर स्थित सठियांव चीनी मिल का शिलान्यास 1973 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। लेकिन प्रबंधन, सरकार व शासन की उपेक्षा तथा भ्रष्टाचार के चलते मिल की स्थिति बिगड़ी तो 2008 में इसे बंद हो गई। इससे गन्ना किसानों की दिक्कतें बढ़ने संग हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए थे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में चीनी मिल शुरू कराने की मांग जोर-शोर से उठी और सपा मुखिया जिले के सांसद बने तो प्रदेश सरकार ने 6 फरवरी 2015 को नई चीनी मिल की नींव रखी और उसे शुरू भी करा दिया था। मिल से ही 15 मेगावाट का विद्युत उत्पादन भी शुरू कराया। उस वक्त सठियांव की नई चीनी मिल एशिया की दूसरी सबसे बड़ी चीनी मिल बताई गई थी।
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