पुलिस भी जेल के बाहर प्रतिबंधित क्षेत्र बता मुलाकातियों को स्टैंड की तरफ खदेड़ देती है
आजमगढ़: मंडलीय जिला कारागार के सामने किसकी अनुमति से स्टैंड चल रहा है, यह जिम्मेदारों को भी पता नहीं हैं। यहां तक की जेल प्रशासन भी इससे अनभिज्ञ है। ऐसे में वाहन स्वामियों का बड़े पैमाने पर शोषण हो रहा है। विरोध करने पर पुलिस भी वाहन स्वामियों का साथ नहीं देती है। एरिया को प्रतिबंधित बताते हुए वाहन स्टैंड की ओर खदेड़ते रहती है। मंडलीय जिला कारागार में बलिया, मऊ व आजमगढ़ के लोग बंदियों से मिलने के लिए अपने बाइक से काफी संख्या में आते हैं। वह जेल के इर्द-गिर्द अपने वाहन को खड़ा करने का प्रयास करते हैं, तो पुलिस पांच सौ मीटर प्रतिबंधित एरिया बताकर खदेड़ देती है। कुछ दूर आगे खड़ा करने पर स्टैंड संचालक रोकने लगते हैं और दबंगई दिखाते हुए अंदर खड़ा करने का दबाव बनाते हैं। ऐसे में बाहर से आने वाले लोगों को बाइक मजबूरी में स्टैंड में खड़ा करना पड़ता है। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रतिबंधित क्षेत्र बताने वाली पुलिस भी स्टैंड संचालक का पूरा सहयोग करती है। पुलिस वाहन स्वामियों की शिकायतों को पूरी तरह से नजर अंदाज कर देती है। स्टैंड पर प्रति बाइक 20 रुपये वसूल बकायदा उन्हें पर्ची भी दी जाती है। मजबूरी में लोगों को वाहन खड़ा करता पड़ता है। प्रतिदिन लगभग सौ से अधिक संख्या में बाइक खड़े किए जाते हैं। जेलर रविंद्र नाथ ने कहा की जेल के बाहर स्टैंड संचालन की जानकारी नहीं है। जेल के मुख्य गेट के सामने वाहन खड़ा करना प्रतिबंधित है। परिसर के बाहर की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस चौकी की है। वहीं जेल चौकी इंचार्ज सुनील कुमार ने बताया वाहन खड़ा करने के लिए जमीन वाले ने अपने स्तर से व्यवस्था किया है। जेल प्रशासन ने गेट के आसपास खड़ा करने पर रोक लगाया है। स्टैंड के लिए टेंडर की बात चल रही है।
Blogger Comment
Facebook Comment