चित्र: डा० अनूप, डा० रामा देसाई और स्वस्थ हुए मरीज संजीव
वर्ल्ड स्ट्रोक आर्गेनाइजेशन ने डायमंड रेटिंग प्रदान किया,देश के 11 संस्थानों में मिला स्थान
पक्षाघात के इलाज में लाइफ लाइन की सफलता दर राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं से बेहतर है- डा० रामा देसाई
आजमगढ़: लकवा मारने की दशा में रोगी के लिए लगभग साढ़े चार घंटे महत्वपूर्ण होते हैं। अगर इस दौरान वह अस्पताल पहुंच जाए तो उसके अंग खराब होने से बच जाते हैं। कुछ ऐसा ही प्रयास लाइफ लाइन में किया। अस्पताल द्वारा इस क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए वर्ल्ड स्ट्रोक आर्गेनाइजेशन द्वारा डायमंड पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उप्र में यह सम्मान पाने वाला लाइफ लाइन इकलौता अस्पताल है। उक्त बातें डा. अनूप सिंह यादव ने लाइफ लाइन परिसर में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कही। उन्होंने बताया कि संगठन द्वारा देश के 11 अस्पतालों को लकवा बिमारी में बेहतर कार्य करने के लिए चयनित किया गया था। उन्हें गोल्ड, प्लेटिनम और डायमंड पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लेकिन देश में उप्र से सिर्फ लाइफ लाइन ही इसमें शामिल हो सका। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व लाइफ लाइनल को 2021 में उप्र सरकार ने बेहतर सेवा करने पर उद्यमी पुरस्कार दिया गया था। वर्ष 2019 में एसोसिएशन आफ केयर प्रोवाइडर आफ इंडिया अवार्ड प्राप्त हुआ था। वर्ष 2020 में दोबारा यह पुरस्कार अस्पताल को मिला। वहीं अब 2021 में लकवा मारने पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने पर इस पुरस्कार से नवाजा गया है। डा. अनूप ने कहा कि अगर किसी को लकवा मारता है तो सबसे अहम साढ़े चार घंटे होते हैं। अगर इस बीच वह मरीज हमारे यहां आ जाता है तो हम उस मरीज के शरीर को खराब होने से बचा सकते हैं। इस दौरान एक दिन पूर्व ही लकवा ग्रस्त हुए 30 वर्षीय युवा मरीज संजीव कुमार ने बताया कि कल जब वह कम्प्यूटर पर काम कर के उठे तो उनका दाएं पैर और हाथ निष्क्रिय जो गए। वहां से परिवार के लोग लेकर एक अस्पताल में पहुंचे जहां कुछ आराम होने पर उन्होंने हमें लाइफ लाइन भेज दिया। यहां आने पर हमें एक इंजेक्शन लगाया गया। जिससे 24 घंटे के अंदर ही हम पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। उन्होंने इसके लिए डा० अनूप का विशेष आभार जताया। इस अवसर पर अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा० रामा देसाई ने बताया की हमने देश के विभिन्न बड़े संस्थानों में सेवा दी है लेकिन पक्षाघात के इलाज में लाइफ लाइन अस्पताल ने सफलता की जो संख्या खड़ी की है वह बड़े से बड़े चिकित्सीय संस्थानों से कहीं बेहतर है। उन्होंने सभी से लकवा या ब्रेन स्ट्रोक के प्रति जागरूक रहते हुए मरीज को चार घंटों के अंदर सक्षम अस्पताल पंहुचाने को अति महत्वपूर्ण कदम है जिससे उसे ही नही पूरे परिवार को राहत मिलेगी।
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