खुद मुलायम सिंह कहते हैं कि हक न मिले तो हल्ला बोलो- इसरार अहमद
जिले में टिकट बंटवारे के बाद सपा में थम नही रहा है विद्रोह
आज़मगढ़: समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ जिले में अखिलेश यादव की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही है। टिकट बंटवारे के बाद पार्टी में शुरू हुआ विद्रोह थमने का नाम नहीं ले रहा है। गोपालपुर के बाद अब निजामाबाद में वरिष्ठ नेता पूर्व ब्लाक प्रमुख इसरार अहमद ने अखिलेश यादव को खुली चुनौती दे डाली है। उन्होंने साफ कर दिया है कि अखिलेश यादव अपने फैसले पर विचार करे नहीं तो वे निर्देल मैदान में उतरेगे और जीत हासिल करेंगे। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सपा की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही है। खासतौर पर सपा का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ जिले में। लंबे समय से चुनाव की तैयारी में जुटे नेता टिकट न मिलने पर विद्रोह शुरू कर दिये हैं। जबकि अभी पार्टी ने सिर्फ सात सीटों पर ही उम्मीदवारों की घोषणा की है। अगर समय रहते विद्रोह को रोका न गया तो सपा की मुश्किल और बढ़ सकती है। कारण कि पूर्व मंत्री वसीम अहमद की पत्नी शमा वसीम के बाद निजामाबद में पूर्व ब्लाक प्रमुख ने टिकट न मिलने पर निर्दल लड़ने की घोषणा कर दी है। उनका दावा है कि उन्हें 2017 में ही टिकट देेने का आश्वासन दिया गया था लेकिन अब अखिलेश यादव अपने वादे से मुकर रहे हैं। इसके पूर्व फूलपुर-पवई विधानसभा क्षेत्र के हजारों कार्यकर्ता पूर्व सांसद रमाकांत यादव को टिकट मिलने के विरोध में प्रदर्शन कर इस्तीफा दिए थे। 2017 में जिले की 10 सीटों में पांच सीट पर सपा को जीत मिली थी जबकि चार सीट बसपा के खाते में गई है। एक सीट बीजेपी को मिली थी। एक बार फिर चुनाव की घोषणा हो चुकी है। सपा ने जिले की दस में से सात सीटों पर उम्मीदवार उतार दिये हैं। वहीं बीजेपी ने छह सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। सपा ने गोपालपुर में विधायक नफीस अहमद को टिकट दिया है। यहां पूर्व मंत्री वसीम अहमद की पत्नी शमा नसीम नाराज हैं। इनका दावा है कि अखिलेश यादव ने खुद उन्हें चुनाव लड़ाने का वादा किया था लेकिन अब मुकर गए। वे निर्दल चुनाव लड़ने का दावा कर रही हैं। वहीं सपा ने निजामाबाद में तीन बार से विधायक आलमबदी को मैदान में उतारा है। यहां पूर्व ब्लाक प्रमुख इसरार अहमद पार्टी के फैसले का खुलकर विरोध कर रहे हैं। इसरार का कहना है कि वर्ष 2017 में उनसे अखिलेश यादव ने कहा था कि यह आलमबदी का अंतिम चुनाव है। अगली बार आपको मौका मिलेगा। खुद आलमबदी ने वर्ष 2022 का चुनाव न लड़ने की बात कही थी लेकिन पार्टी ने उन्हें फिर मैदान में उतार दिया है। टिकट घोषणा के बाद वे अखिलेश यादव से मिले तो उन्होंने फिर आलमबदी के आखिरी चुनाव की बात कही। इसरार का कहना है कि हमने पार्टी को 32 साल दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपने फैसले पर विचार करना चाहिए। यदि पार्टी टिकट नहीं देती है तो वे हर हाल में निर्दल मैदान में उतरेंगे। उनके साथ सभी वर्ग का सपोर्ट है और चुनाव जीतेंगे। कारण कि लोहिया ने कहा था कि जिंदा कौमें ज्यादा इंतजार नहीं करती हैं। खुद मुलायम सिंह कहते हैं कि हक न मिले तो हल्ला बोलो। हम इन्ही के आदर्शों पर चलने वाले लोग है। अपने हक के लिए लड़ेगे।
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