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आज़मगढ़: परमात्मा सुख- दुख दोनों का साथी है- आचार्य शांतनु



प्रख्यात कथा वाचक के श्री मुख से अयोध्या कांड सुनकर भक्त भाव विभोर हो गए

आज़मगढ़: सगड़ी तहसील के समीप चल रही राम कथा के पांचवें दिन प्रख्यात कथा वाचक आचार्य शांतनु जी महाराज से श्री मुख से अयोध्या कांड सुनकर भक्त भाव विभोर हो गए। राम कथा के माध्यम से कई सामाजिक संदेश दिए। कैकई और राजा दशरथ के संवाद सुन श्रोताओं की आंखों से आंसू बहने लगे। अयोध्या कांड की चर्चा करते हुए कहा कि जब भगवान अयोध्या पहुचंते है तो सुखी समाज को देख कर प्रसन्न हो जाते है।उन्होंने कहा कि सुख में हम सब प्रभु को भूल जाते है। संसार सुख में साथ रहता है। परमात्मा सुख और दुख दोनों का साथी है। कहा कि हम उपकार को याद नहीं रखते है, संसार में चतुराई चालाकी से कम हो सकता है लेकिन प्रभु के यहाँ चतुराई नहीं चलती है।कथा में गुण, दोष और स्वभाव की भी चर्चा की। कहा की बुरी आदतों से मुक्ति ही भजन है। राजा दशरथ के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि जीवन में एक समय के बाद अपनी अगली पीढ़ी को जिम्मेदारी सौंप देनी चाहिए। राजा दशरथ भगवान राम को राज पाठ देने के लिए वशिष्ठ ऋषि से राज्याभिषेक का मुहूर्त पूछते है। वशिष्ठ ऋषि ने अति शीघ्र राज्याभिषेक के लिए कहा। वशिष्ठ ऋषि भगवान राम से मिलने जाते है और कई सलाह देते है। भगवान राम राजा बनने के पूर्व फूट फूट कर रोते है त्रेता का भाई अपना राज भाई भरत को देने के लिए रोता है और कलियुग के भाई अपने ही भाई से झगड़ा करता है।कथा में क्षेत्र के तामाम लोग शामिल हुए।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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