अकेले एक कांस्टेबल के बूते की बात नहीं लगता शराब माफिया से सांठगांठ रखना
गहराई से जांच हुई तो पुलिस व आबकारी के कई अधिकारी के गिरेबां तक पंहुचेगी आंच
पवई (आजमगढ़) : बरामदगी बयां कर रही कि अवैध शराब के कारोबारी सरकारी व्यवस्था के समानांतर सरकार चला रहे थे। तीन गोदामों में पड़ी हजारों की देशी, अंग्रेजी शराब की शीशियां, ढक्कन, सिलेंडर, बार कोड की मात्रा दर्शा रही कि अंबेडकर नगर, आजमगढ़ ही नहीं पास-पड़ोस के कई जिलों में अवैध शराब का कारोबार फैला होगा। मौत बांटकर जेब भरने के पीछे निश्चित रूप से सफेदपोश होंगे। यह एक खेल एक सिपाही और कुछ कारोबारियों के बूते की बात नहीं हो सकती है। सरकार अगर रुचि लेकर जांच कराए तो स्वजनों को खोकर बिलख रहे गरीबों को न्याय जरूर मिल जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि पुलिस के ऑपरेशन के बाद आबकारी अधिकारियों पर भी सवाल उठने लगा है। जहरीली शराब से हुई कई मौतों के बावजूद आबकारी विभाग के अधिकारी तमाशा देख रहे हैं। जबकि जहरीली शराब जनता तक न पहुंचे इसकी जिम्मेदारी आबकारी विभाग की ही सरकार ने निर्धारित की है। दिलचस्प कि जिला आबकारी अधिकारी ही नहीं यहां मंडलीय अधिकारी भी बैठते हैं। सरकारी ठेके से जहरीली शराब बिकने का खुलासा भी दिल को दहला देने वाला है। ऐसे में अफसरों का अनभिज्ञ हाेना भी बड़ा सवाल है। जहरीली शराब पीने से कई मौतें हो गईं। बेगुनाहों की मौत के लिए आखिर जिम्मेदार कौन होगा। अफसर पहले दिन से ही जहरीली शराब से मौतों पर पर्दा डालते रहे। अंबेडकर नगर में हुई घटना के बाद भी चेत गए होते तो कइयों की जान बच सकती थी। लेकिन बचाव कराने के बजाए मीडिया कर्मियों को रिपोर्टिंग से रोका जाने लगा।
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