मुखाग्नि से पूर्व पुत्र ने पिता का अंतिम दर्शन कराना चाहा तो उड़े होश
मात्र 07 शवों में ही एक का शव दूसरे को दे दिए जाने से व्यवस्था पर उठे सवाल
आजमगढ़ : कोरोना संक्रमित सात शवों को राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रशासन सोमवार को मैनेज नहीं कर सका। जहानागंज के प्रकाश नारायण का शव दिवंगत ओमप्रकाश के पुत्र राजेश कुमार को दे दिया गया। श्मशान घाट पहुंचा शव एंबुलेंस से पहुंचा तो बृजेश ने पिता का अंतिम दर्शन करना चाहा तो उसे चीखें निकल आई। दरअसल, शव उनके पिता के बजाए किसी दूसरे का था, जिसे कुछ देर बाद ही मुखाग्नि दी जानी थी। इधर श्मशान घाट पर दिवंगत ओपप्रकाश तो राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में प्रकाश नारायण राय के स्वजन शव बदल जाने को लेकर परेशान थे। हुआ यह कि शहर से सटे लक्षिरामपुर निवासी बुजुर्ग ओमप्रकाश उपाध्याय की तबीयत रविवार को खराब हुई। उनकी चेस्ट सिटी कराई गई तो सीने में संक्रमण दिखा। स्वजन पहले मंडलीय अस्पताल ले गए, जहां से उन्हें राजकीय मेडिकल काॅलेज भेज दिया गया। रात में इलाज के दौरान ओमप्रकाश का निधन हो गया। इनके अलावा छह और लोगों की मौत हॉस्पिटल में मौत हुई। स्वजनों काे सुबह शव देने में लापरवाही बरती गई, जिसका नतीजा रहा कि प्रकाश नारायण का शव ओमप्रकाश के तीमारदार ले गए। दिवंगत ओमप्रकाश उपाध्याय के पुत्र बृजेश ने बताया कि मेरे बड़े भाई ने शव की शिनाख्त की थी। उन्होंने तो पिता जी के शव को ही पहचाना था। शव पहचानने के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया कि एंबुलेंस में बॉडी रखवा दी जाएगी। इसी समय चूक की गई और शव बदल गया। ये लोग सात शव को मैनेज नहीं कर पा रहे, भगवान जाने अंदर इलाज क्या कर रहे होंगे। वहीं मेडिकल कालेज के नोडल अधिकारी डॉ० दीपक पांडे ने बताया कि शवों की पहचान पुलिस की देखरेख में कराई जाती है। ओमप्रकाश उपाध्याय के स्वजन ने शव की शिनाख्त की थी, फिर चूक कैसे हो सकती है? बहरहाल, दोनों शवों को उनके स्वजनों को दे दिया गया है।
Blogger Comment
Facebook Comment