पंचशील समझौते को निरस्त कर 1904 के एंग्लो-तिब्बतन समझौता को पूर्णतया बहाल करें - रणजीत सिंह, अध्यक्ष, प्रयास
आजमगढ़: पंचशील समझौते को निरस्त करते हुए 1904 के एंग्लो-तिब्बतन समझौता को पूर्णतया बहाल करने सहित पांच सूत्री मांगों को लेकर प्रयास सामाजिक संगठन ने शनिवार को प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया। ज्ञापन में प्रयास के अध्यक्ष रणजीत सिंह ने कहा कि भारत-तिब्बत सीमा पर चीन द्वारा कायरतापूर्वक, धोखे से किये गये हमले में 20 भारतीय जवान शहीद हो गये। ऐसे में 1951 में चीन द्वारा तिब्बत पर अवैध कब्जा करते हुए भारत की सीमाओं पर आ पहुंचा हैं, अब यह तर्क-कुतर्क की सभी सीमाओं को पार कर रहा हैं। भारत के अभिन्न अंग अरूणाचंल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत बताकर अपना दुराग्रह जाहिर कर चुका है। चीनी नेताओं के साथ डोकलाम, पैंगोंग झील, गलवन घाटी, एक किलोमीटर चार किलोमीटर की अर्थहीन बहस छोड़कर तिब्बत की निर्वासित सरकार को मान्यता दिया जाए। मंडल अध्यक्ष राणा बलवीर सिंह ने कहा कि चीन के दुराग्रह और समूचे विश्व को महामारी के संकट में ढ़केलने की घृष्ट्यता के चलते 1954 के पंचशील समझौते को निरस्त कर वर्ष 1904 के एंग्लो-तिब्बतन समझौता को पूर्णतया बहाल करने की कृपा करें जिसमें तिब्बत में अपने दो वाणिज्य दूतावास, सेना की टुकड़ी रखने, व्यापार मंडल चलाने और टेलीग्राफ यंत्र बनाये रखने की व्यवस्था की दी गयी है। शिवप्रकाश पाठक ने बताया कि हमारी मांगों में तिब्बत की निर्वाचित अस्थायी सरकार को मान्यता प्रदान की जाए, तिब्बत के सर्वोच्च धर्मगुरू भगवान बुद्ध की धरती पर निर्वाचित जीवन जी रहे दलाईलामा के संघर्ष को देखते हुए उन्हें भारत रत्न पुरस्कार दिया जाए, चीन के विस्तारवादी अउपनिवेषवादी मानसिकता एवं विश्व को महामारी के मुहाने तक ले जाने वाले चीन के साथ वर्ष 1954 में हुए पंचशील समझौते को निरस्त किया जाए, वर्ष 1904 में हुए एंग्लो-तिब्बतन समझौते की बहाली की जाए, तिब्बत को चीन के स्वायत प्रांत की मान्यता को संसद में प्रस्ताव लाकर समाप्त किया जाना शामिल है। इस अवसर पर रामसूरत चौहान, रामकेश यादव, हरिश्चन्द, राजू शर्मा, शम्भू दयाल सोनकर, अंगद साहनी आदि मौजूद रहे।
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