उल्लास का पर्व होली प्रकृति के रंग को जीवन में उतारता है -के के सरन, प्रधानाचार्य
बच्चों को रसायनिक रंगों के दुष्प्रभावों को बताते हुए प्राकृतिक रंग से होली खेलने की प्रेरणा दी गयी
आजमगढ़ : जहानागंज क्षेत्र के एस.के.डी विद्यालय धनहुआं के प्रागंण में होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया जिसमे शामिल होकर बच्चों ने खूब लुफ्त उठाया। एक दूसरे पर पर प्राकृतिक रंग और अबीर लगाते हुए बच्चे काफी आनन्दित हुए। रंग और अबीर से सराबोर छोटे बच्चे काफी मोहक लग रहे थे। इस अवसर पर बच्चों ने मिष्ठान का भी लुफ्त उठाया।
रंगों के त्योहार होली पर चर्चा करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य के के सरन और रामजीत चौहान ने बताया कि उल्लास का प्रतीक यह त्योहार ऐसे समय मनाया जाता है जब हमारी वसुन्धरा पर पीले पीले सरसों के फूल लहरा रहे होते हैं और हरी-हरी गेहूं की बालियां खेतों में लटक रही होती हैं। ऐसे वातावरण को देखते हुए मानव मन भी आनंदित हो उठता है। होली मनाते हुए लोग प्रकृति के इसी रंग को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं। साथ ही होली से जुड़ी पारम्परिक मान्यता पर भी विस्तृत चर्चा हुई। बच्चों को हानिकारक रसायनिक रंगों के दुष्प्रभावों को बताते हुए इनसे दूर रहने और प्राकृतिक रंग से होली खेलने की प्रेरणा दी गयी।
कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रीकान्त सिंह, अनन्त, राकेश पाण्डेय, संजय यादव, रेनू, संगीता, दीपमाला ,लक्ष्मी आदि लोगों का योगदान सराहनीय रहा।
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