सहज पाठ व कीर्तन के साथ लोगों ने लंगर में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया
आजमगढ़ : सिख समुदाय क दसवें और अंतिम गुरु गोविद सिंह का 353वां प्रकाशोत्सव उत्साह पूर्वक मनाया गया। सिख परिवारों में सुबह से ही उत्साह का माहौल था। स्नान आदि के बाद सुंदर वस्त्र धारण कर हर कदम चल पड़े थे गुरुद्वारे की ओर। गुरु दरबार में लोगों ने हाजिरी लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण किया। नगर के मातवरगंज स्थित सुंदर गुरुद्वारे में सुबह से ही लोगों के पहुंचने का सिलिसला शुरू हो गया था। यहां पहुंचने वाले किसी भी धर्म से जुड़े हों, सबसे पहले सिर ढककर गुरुग्रंथ साहिब के समक्ष शीश झुकाया। जिसके पास सिर ढकने के लिए साफ रुमाल नहीं थे उसे गुरुद्वारा की ओर से उपलब्ध कराया जा रहा था। प्रकाशोत्सव पर गुरुद्वारा में सहज पाठ रखा गया था। सुबह पाठ समाप्ति के बाद तीन बजे तक कीर्तन दरबार सजा जिसमें गुरुवाणी सुन संगत निहाल हो उठी। एक के बाद एक कीर्तन सुनकर लोग आनंदित हो उठे। उसके बाद कड़ाह प्रसाद का वितरण किया गया और उसके बाद लंगर शुरू हुआ जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस बार खास बात यह दिखी कि गुरुद्वारा में पहुंचने वालों के सामने जहां लंगर परोसा गया वहीं जो लोग इस आयोजन इस अनजान थे उनके लिए मातवरगंज तिराहे पर सड़क किनारे मेज लगाकर लंगर की व्यवस्था की गई थी। रास्ते से गुजरने वाले लोगों को रोककर लंगर के रूप में गुरु का प्रसाद दिया जा रहा था।
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