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आज़मगढ़ः बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर काला दिवस मना राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

6 दिसम्बर 1992 भारतीय इतिहास का काला दिन, केवल मस्जिद ही नही भारतीय कानून, संविधान, एकता और अखण्डता को भी तोड़ने की साजिश हुई - तलहा रशादी ,प्रवक्ता,राष्ट्रिय उलेमा कौंसिल 

आज़मगढ़ः राष्ट्रीय ओलमा कौन्सिल ने आज 6 दिसम्बर को बाबरी मस्जिद ध्वस्तीकरण की बरसी पर काला दिवस मनाते हुए उस दिन हुए अन्याय के विरूध्द कार्यवाही की मांग करते हुए महामहिम राष्ट्रपति को सम्बोधित एक ज्ञापन ज़िलाधिकारी को सौंपा। इस अवसर पर पार्टी के प्रवक्ता एडवोकेट तलहा रशादी ने कहाकि 06 दिसम्बर 1992 का दिन हमारे देश के इतिहास का काला दिन था, जब ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद को दिनदहाड़े संविधान एवं कानून की धज्जियां उड़ाते हुए तथा देश की एकता और अखण्डता को दांव पर लगाते हुए तथाकथित सेकुलर नेताओं की दोगली नीतियों व शासन की मिलीभगत से अराजक तत्वों द्वारा शहीद कर दिया गया। आज बाबरी मस्जिद की शहादत के 27 वर्ष बीत जाने के बाद भी न्याय नहीं हो सका, जबकि इस घटना की जांच करने वाले लिब्राहन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया था कि मस्जिद को षडयंत्र के तहत योजनाबद्ध तरीके से तोड़ा गया है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कमीशन ने चिन्हित भी कर दिया है। वहीं 8 नवम्बर को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि वहां मस्जिद थी जिसे तोड़ा गया है ऐसे में दोषियों के विरूध्द अविलम्ब कार्यवाही किया जाना न्यायहित व देशहित में अत्यन्त आवश्यक हो जाता है। अब यह केन्द्र सरकार का काम है कि इस सम्बन्ध में अविलम्ब कार्यवाही करे तथा दोषियों को सज़ा दिलवाए। प्रदेश अध्यक्ष अनिल सिंह ने कहाकि पिछले 27 सालों से सभी दलों ने इस मुद्दे पर केवल राजनैतिक रोटीयां सेकी हैं जो कि अन्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है, हम मांग करते हैं कि जिस प्रकार से बाबरी मस्जिद के टाईटल सूट पर लगातार सुनवाई करते हुए फैसला हुआ है वैसे ही इस मामले में भी तेज़ और लगातार सुनवाई कर संविधान और कानून के दोषीयों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए। देश के संविधान और कानून से उपर कोई नही है और न्याय के इस संघर्ष में देश का हर न्यायप्रिय नागरिक साथ है।
ज़िलाध्यक्ष हाजी शकील अहमद ने कहाकि यह तत्कालीन और वर्तमान सरकार का काम था कि इस संबंध में अविलम्ब कार्यवाही करती और दोषीयों को सज़ा दिलाती पर इस मुद्दे पर केवल राजनीति हुई। उन्होंने यह भी कहा कि हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि मुसलमान एवं देश सभी न्याय प्रिय नागरिक इस काले दिन को कभी नहीं भूल सकते हैं और न्याय होने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हम न्याय होने तक इस संघर्ष को लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक तरीके से जारी रखेंगे और 06 दिसम्बर को कभी न भूलेंगें। इस अवसर पर मो0 आरिफ, मतीउल्लाह, अबूसाद, नसीम, आमिर, शहजाद, साहिद आदि उपस्थित रहे।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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