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आजमगढ़ : सांस्कृतिक महाकुंभ हुनर रंग महोत्सव का हुआ भव्य आगाज



कला व संस्कृति की फसल लहलहाने को हुनर रंग महोत्सव जैसे आयोजन की है जरूरत - एन पी सिंह,डीएम 

आजमगढ़ : गुरुवार को शहर के मध्य स्थित वेस्ली अन्तर कालेज के प्रांगण में हमारी संस्कृति हमारी पहचान, हमारी विरासत हमारी शान के मन्त्र को चरितार्थ करता भारत के विभिन्न प्रदेशों की लोक संस्कृतियों का महासंगम व लोक कलाकारों का सांस्कृतिक महाकुंभ हुनर रंग महोत्सव का भव्य आगाज जिलाधिकारी एन पी सिंह, पूर्व पालिकाध्यक्ष इंदिरा देवी जायसवाल ने दीप प्रज्वलन कर किया । हुनर संस्थान आजमगढ़ द्वारा आयोजित हुनर रंग महोत्सव की पहली शाम शिक्षाविद स्व0 दीनानाथ लाल श्रीवास्तव को समर्पित रही । आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत स्वागत अध्यक्ष अभिषेक जायसवाल " दीनू " संस्थान अध्यक्ष मनोज यादव ने किया । अपने संबोधन में मुख्य अथिति जिलाधिकारी ने कहा कि आज़मगढ़ रचनाकारों, कलाकरों की सरजमी है जिसने सदैव ही देश को दिशा देने का काम किया है । वही आज देशभर के कलाकारों ने आज़मगढ़ आकर यह सिद्ध कर दिया कि यह सांस्कृतिक शहर है। जहाँ कला और कलाकारों को सम्मान मिलता है। असम, मणिपुर, ओडिशा, झारखंड के लोक कलाकारों ने जनपद की रचनाधर्मिता का सम्मान किया है। ऐसे आयोजन राष्ट्रीय एकता अखंडता को मजबूत कर देश मे सामाजिक सदभाव का माहौल पैदा करते है। आजमगढ़ को जितना मैंने देखा है यह पाया है कि यह सर्जना, साहित्य, संघर्ष एवं शहादत की धरती है कला और संस्कृति की अच्छी फसल उगाने को यहां पर अच्छे बीज भी हैं और यहां की भूमि भी उर्वरा है बस जरूरत है एक अच्छा वातावरण देने की, हुनर रंग महोत्सव जैसे आयोजन ही यह वातावरण दे सकते हैं जिससे कि कला व संस्कृति की फसल लहलहाने लगेगी । विभिन्न राज्यों विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में प्राकृतिक और भौगोलिक विविधता है जिसके प्रभाव से देश में सांस्कृतिक विविधता भी है सभी स्थानों की कला और संस्कृति को एक साथ रख दिया जाए तो यह भारतीय संस्कृति रूपी एक गुलदस्ता तैयार हो जाता है जो की सम्भवतः विष में कहीं भी नहीं है । जीवंत शहर के लिए ऐसे कार्यक्रम निरंतर होने चाहिए। इसके बाद लोक संस्कृतियो सहेजने का यह सिलसिला 17 वें वर्ष में भी जारी रहा जब मंच पर नंद संगीत कला केंद्र खुर्दा उड़ीसा के कलाकारों ने अपने पारंपरिक लोक नृत्य को प्रस्तुत किया । तो मानो ऐसा लगा की लोक कलाओं का का अद्भुत संसार इस छोटे से प्रांगण में उतर आया है। जनपद वासियों के अगाध प्रेम का परिणाम रहा कि आज विपरीत परिस्थितियों में भी इस आयोजन का दीप जलाकर लोगों को राष्ट्रीय एकता अखंडता वह सामाजिक समरसता का संदेश दिया । महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत संस्थान के कलाकारों द्वारा भगवान गणेश की स्तुति व समूह नृत्य नृत्क के साथ हुआ । दूसरी प्रस्तुति के रूप में उत्कल संगीत समाज कटक उड़ीसा की वर्षा और परिणीति का युगल नृत्य रहा। तीसरी प्रस्तुति समूहन कला संस्थान आजमगढ़ द्वारा अखिलेश सिंह द्वारा लिखित व ख्यातिलब्ध निर्देसक राजकुमार शाह द्वारा निर्देशित नाटक "हँसुली "का भावपूर्ण मंचन हुआ । सामाजिक संवेदनाओं को उकेरते नाटक में लेखक व निर्देशक ने मानवीय संवेदनाओं को भरपूर स्थान दिया।इस अवसर पर मनीष रतन अग्रवाल, अशोक मानव ,राजेंद्र सिंह,हिना देसाई ,श्रीमती विजयलक्ष्मी मिश्रा कवि प्रभ नारायण पांडेय सुनील अग्रवाल ओम प्रकाश अग्रवाल लड्डू इस हेमन्त श्रीवााास्त,, , गौरव मौर्य, शशि सोनकर, सुजीत अस्थाना , डॉ शशिभूषण शर्मा, कमलेश सोनकर, अमरजीत विश्वकर्मा, रवि चौरसिया, आकाश गोंड़, सावन प्रजापति, उपस्त्थि्त थे। कार्यक्रम का संचालन संस्थान सचिव सुनील दत्त विश्वकर्मा ने किया।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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