हास्य रसावतार सूंड़ फैजाबादी की स्मृति में राष्ट्रीय एकता कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ
आजमगढ़ : शहर के वेस्ली इंटर कॉलेज में शनिवार की देर शाम हास्य रसावतार सूंड़ फैजाबादी की स्मृति में राष्ट्रीय एकता कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सूंड़ साहित्य परिषद के तत्वावधान में एक शाम पन्नालाल 'बरतनिया' के नाम समर्पित कवि सम्मेलन का शुभारंभ नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष शीला श्रीवास्तव, डा. अशोक सिंह, डा. निर्मल श्रीवास्तव, श्यामनरायन राय एडवोकेट व अतुल कुमार मुन्ना से संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। गीतकार वैभव वर्मा ने संचालन के साथ कवि सम्मेलन को गति दी। प्रयागराज से आए पंडित नजर इलाहाबादी ने अपने चुटीले अंदाज में 'गड्ढों से मुक्त होगी सड़क ये मेरा वादा है, सब गड्ढे भर जाएंगे बरसात तो होने दो' सुनाकर सरकारी तंत्र पर प्रहार किया। गोरखपुर से आईं सत्यमवदा ने माहौल बदला। 'जो हथेली हाथ पर अक्सर रचाती हैं मेंहदियां, वक्त आएगा तो खंजर उठाना जानती हैं' सुनाकर नारी शक्ति का बोध कराया। उत्तराखंड के डा. मनोज आर्य ने 'हम तो यूं ही पूछ बैठे सात दशकों का हिसाब, आप नेता जी भला क्यूं इतना हकलाने लगे' सुनाकर जनप्रतिनिधियों की उदासीनता पर तंज कसा। नैनीताल से आईं गौरी मिश्रा के माइक संभालते ही उनकी रचनाओं को सुनने की जिज्ञासा श्रोताओं ने प्रकट की। उन्होंने 'मैं अपना घर समझ कर चली आई यहां, क्योंकि तुम्हारे दिल के दरवाजे पर मेरा नाम लिखा है'।, 'गुलाबी नोट से ज्यादा गुलाबी गाल कर दूंगी, तुम्हें अपनी मोहब्बत से मैं मालामाल कर दूंगी, बहुत नादान है यूं तो नैनीताल की गौरी, मिले ताली तो आजमगढ़ को नैनीताल कर दूंगी' सुनाकर श्रोताओं को हाथ खोलने पर मजबूर कर दिया और खूब तालियां बटोरी। श्रोताओं के विशेष आग्रह पर गीतकार वैभव वर्मा ने 'आपने जो कहा था वो करते गए, आप ही के नजर से उतरते गए','एब औरों में जो दिन-रात गिना करते हैं, कसम खुदा की वही आईने से डरते हैं','कलेजा कटकर भला कैसे अलग होता है, ये पूछो जो बेटी विदा करते हैं' सुनाकर वाहवाही लूटी। देर रात तक चले कवि सम्मेलन में अश्क चिरैयाकोटी, पंकज प्रखर, डा. भारती सिंह, बिहारी लाल अंबर, मैकश आजमी आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को सराबोर कर दिया। अतुल कुमार मुन्ना ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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