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कृषि विभाग की कार्यशाला में ग्राम संगठनो व कृषकों को अनुदान पर मिले ट्रैक्टर


डीएम ने फार्म मशीनरी बैंक तथा कस्टम हायरिंग सेन्टर की स्थापना की स्वीकृति दी

पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है -जिलाधिकारी 

आजमगढ़ 07 नवम्बर -- जिलाधिकारी नागेन्द्र प्रसाद सिंह द्वारा सिधारी स्थित कृषि भवन में आयोजित प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फाॅर इन-सीटू मैनेजमेन्ट ऑफ क्राप रेजीड्यू योजनान्तर्गत एक दिवसीय जनपद स्तरीय कार्याशाला का शुभारम्भ किया गया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी द्वारा प्रमोशन ऑफ़ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फाॅर इन-सीटू मैनेजमेन्ट ऑफ क्राप रेजीड्यू योजनान्तर्गत फार्म मशीनरी बैंक तथा कस्टम हायरिंग सेन्टर की स्थापना की स्वीकृति दी गयी। फार्म मशीनरी बैंक के अन्तर्गत 04 ट्रैक्टर एफपीओ (फुड प्रोड्यूजर आर्गेनाइजेशन) को तथा 25 ट्रैक्टर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत ग्राम संगठन को दिया गया। इसी के साथ ही साथ कस्टम हायरिंग सेन्टर के अन्तर्गत 29 ट्रेक्टर व्यक्तिगत कृषकों को दिया गया।
जिलाधिकारी द्वारा प्रतिकात्मक रूप से फार्म मशीनरी बैंक के अन्तर्गत आदर्श प्रेरणा महिला संगठन बिलरियागंज की अध्यक्ष श्रीमती ललिमा, उजाला प्रेरणा महिला संगठन बिलरियागंज की अध्यक्ष श्रीमती ममता, आंचल प्रेरणा महिला संगठन ठेकमा की अध्यक्ष श्रीमती संजू, एकता प्रेरणा महिला संगठन मार्टीनगंज की अध्यक्ष श्रीमती पूनम को ट्रैक्टर (कृषि यंत्र) की चाभी तथा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।
जिलाधिकारी ने बताया कि ट्रैक्टर की परियोजना लागत 15 लाख रू0 है, जिसमें अनुदान की धनराशि 12 लाख रू0 तथा ग्राम संगठन का अंश 03 लाख रू0 है। जिलाधिकारी ने बताया कि उक्त महिला संगठन ट्रैक्टर का उपयोग खेती के लिए किराये पर अपने संगठनों के सदस्यों को न्यूनतम किराये पर दिया जायेगा। इसी के साथ ही साथ सदस्यों के अलावा भी अन्य कृषकों पर किराये पर दिया जायेगा तथा जो किराये की धनराशि प्राप्त होगी उस धनराशि को संगठन के खाते में जमा किया जायेगा। उन्होने बताया कि कृषि यंत्रों को दिये जाने का उद्देश्य है कि आजीविका मिशन के अन्तर्गत संचालित संगठनें स्वावलम्बी हों तथा कृषि यंत्र फसल अवशेष प्रबंधन में सहयोगी बनें।
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने समस्त कृषकों सम्बोधित करते हुए कहा कि आज हमें जैविक खेती की तरफ बढ़ने की आवश्यकता है, क्योंकि आज रासायनिक खादों और किटनाशक दवाओं के प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो गयी है, आज हमें खेती के साथ-साथ जानवारों को भी रखने की जरूरत है। जानवरों को रखने से हमे दूध मिलेगा तथा साथ ही गोबर भी प्राप्त होगा, दूध से हमारे शरीर में प्रोटीन तथा माइक्रोन्यूट्रीशन की पूर्ति होती है तथा हम गोबर से जीवामृत और गाय के गोमूत्र से बीजामृत बनाकर बीजों का शोधन कर सकते हैं।
इसी के साथ ही जिलाधिकारी ने कहा कि हमें ठोस तथा तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर भी ध्यान देने की जरूरत है। ठोस तथा तरल अपशिष्ट से भी खाद बनाया जा सकता है। उन्होने कहा कि नाडेप तथा वर्मी कम्पोस्ट भी बनाने की आवश्यकता है, इससे हमारी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी तथा ज्यादा से ज्यादा जैविक खेती को बढ़ावा दें। इसी के साथ ही जिलाधिकारी ने समस्त किसानों से कहा कि खेतों में पराली जलाने से जमीन के अन्दर जो छोटे-छोटे जीवाश्म जीव रहते हैं वो मर जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है, इसलिए आप सभी किसान भाई खेतों में पराली न जलायें, बल्कि उस पराली से खाद बनायें।
इस अवसर पर कृषि विभाग द्वारा विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों तथा कृषि से संबंधित स्टाल लगाये गये थे, जिसका किसानो द्वारा भरपूर लाभ उठाया गया।
इस अवसर पर संयुक्त कृषि निदेशक सुरेश कुमार सिंह, डीडी कृषि आरके मौर्य, एसडीएम सदर प्रशान्त कुमार नायक, जिला कृषि अधिकारी डाॅ0 उमेश कुमार गुप्ता, जिला भूमि संरक्षण अधिकारी संगम सिंह, प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र डाॅ0 आरके सिंह सहित किसान भाई उपस्थित रहे।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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