.

मिर्गी दौरों का सर्जरी से इलाज करने वाला प्रदेश का दूसरा अस्पताल बना लाइफ लाइन हॉस्पिटल

डॉ अनूप सिंह यादव की टीम ने मिर्गी के झटकों से ग्रस्त बालिका के दिमाग का सफल ऑपरेशन कर पूर्णतया ठीक किया 

जांच की जाए तो बहुत से ऐसे मिर्गी रोगी मिलेंगे जिनको इस सर्जरी से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है- डॉ अनूप सिंह यादव 

आजमगढ़। मिर्गी को एक सामान्य रोग होने के बावजूद,  समाज में आज भी एक अभिशाप ग्रस्त व्यक्ति के रूप में मिर्गी के मरीजों को देखा जाता है। अकेले भारत में इसके रोगियों की संख्या एक करोड़ से भी अधिक है, जिसमें 70 फ़ीसदी रोगियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उचित इलाज नहीं मिल पाता है। सामान्यतः अधिकतर मरीज कुछ वर्षो के इलाज के उपरांत स्वस्थ हो जाते हैं, लेकिन एक बड़ी संख्या ऐसे मरीजों की भी है जो जीवन भर दवा खाते रह जाते हैं और उनमें से कुछ को तो दवाइयों के बावजूद मिर्गी के झटके आते रहते हैं। ऐसे मरीजों के लिए ईपीलेप्सी सर्जरी एक वरदान से कम नहीं है।
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के मंझरिया गांव निवासी चंद्रजीत यादव की पुत्री अंकिता की। अंकिता पिछले 8 वर्षों से मिर्गी के दौरों से पीड़ित थी। पिता ने मुंबई से लेकर चंडीगढ़ तक तमाम बड़े अस्पतालों के चक्कर कांटे और पिछले कई सालों से नियमित इलाज लेते रहे फिर भी अंकिता के झटके हर हफ्ते बने रहे। रिश्तेदारों की सलाह पर परिजन अंकिता के साथ लाइफ लाइन हॉस्पिटल के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉक्टर अनूप कुमार सिंह जी से मिले। डॉ अनूप जी ने नए स्तर से सारी जांच कराने के उपरांत यह पाया कि अंकिता को टेंपोरल लोब इपीलेप्सी है, जिसका कारण एम टी एस नामक बीमारी है।  24 जून 2019 को लगभग 8 घंटे चले ऑपरेशन के दौरान (जिसे नवीनतम तकनीकों इलेक्ट्रोकॉर्टिकोग्राफी (ब्रेन मैपिंग) एवं नेविगेशन के साथ किया गया। अंकिता के दिमाग के बाएं हिस्से में मौजूद एम टी एस नामक गांठ को निकाल दिया गया ऑपरेशन के पूर्व अंकिता को हर हफ्ते मिर्गी के झटके इलाज के बावजूद आते रहते थे लेकिन अब अंकिता पूरी तरह से स्वस्थ है।  केजी मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के बाद इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक करने वाला लाइफ लाइन हॉस्पिटल उत्तर प्रदेश का सिर्फ दूसरा अस्पताल है जहां मिर्गी के झटको के मरीजों के लिए आशा की एक नई किरण जगी है। डॉ अनूप ने बताया की आमतौर पर मिर्गी रोग को लोग सामान्य अभिशाप समझ कर इसके इलाज का प्रयास नहीं करते हैं और अगर करते हैं तो भी उनके द्वारा ली जाने वाली दवाओं की संख्या बढ़ती जाती है जो किसी  खानी पड़ती है। ऐसे मरीजों को अचानक दौरा पड़ने से कहीं भी जान का खतरा बना रहता है। अगर जांच की जाए तो बहुत से ऐसे मिर्गी रोगी मिलेंगे जिनको इस सर्जरी से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। जरूरत है लोगों में इसके प्रति जागरूकता लाने की। 

Share on Google Plus

रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

आजमगढ़ लाइव-जीवंत खबरों का आइना ... आजमगढ़ , मऊ , बलिया की ताज़ा ख़बरें।
    Blogger Comment
    Facebook Comment