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धन सार्थक वही है जो धर्मार्थ कार्य में लगे या किसी जरूरतमंद की मदद मे लगे-संत सर्वेश जी


 भवरनाथ मंदिर में नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा का हुआ शुभारम्भ 


आजमगढ़ । बाबा भवरनाथ मंदिर में नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन अयोध्या से पधारे युवा संत सर्वेश जी महाराज ने कहा कि धन सार्थक वही है जो धर्मार्थ के कार्य में लगे या किसी जरूरतमंद की मदद मे लगे । उन्होंने कहा कि जीवन में भक्ति परम आवश्यक है जीवन सार्थक तभी हो सकता है जब जीवन में भक्ति आ जाए वरना यह जीवन व्यर्थ है और भक्ति के नौ प्रकार बताए गए हैं जैसे श्रवण , कीर्तन , विष्णु स्मरण , अर्चना , वंदना , मंत्र जाप , सहजता , संतोष और भगवान पर विश्वास इसी के द्वारा ईश्वर की प्राप्ति संभव है उन्होंने कहा कि आजकल हम मंदिर जाते हैं वहां गंदगी फैला कर चले आते हैं हम भूल जाते हैं कि वो ईश्वर का घर है जैसे हम अपने घरों को साफ सुथरा रखते हैं वैसे मंदिर साफ सुथरा रखना चाहिए मंदिर को साफ सुथरा रखना भी पूजा के ही समान है।  उन्होंने कहा कि हम अपनी बातें दुख-सुख किसी से कहें या ना कहें पर उस परम पिता परमेश्वर से आत्म निवेदन अवश्य करना चाहिए उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में जो कुछ भी हो रहा है वह उस ईश्वर की कृपा से ही हो रहा है उसकी इच्छा के बिना कुछ भी संभव नहीं है और जब तक उसका बुलावा नहीं आता तब तक कहीं भी आ जा नहीं सकते हम जो इस मंदिर में बैठकर आज श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर रहे है वह भी उसी ईश्वर की कृपा से ही है उसी ने आपको बुलाया है तभी आप यह कथा श्रवण कर रहे हैं ।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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