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आजमगढ़: केंद्रीय होमियोपैथी परिषद के पूर्व सदस्य डा. भक्तवत्सल को थाईलैंड में सम्मानित किया गया

पटाया शहर में इंटरनेशनल सेमिनार आन होमियोपैथी में विशेषज्ञों ने होमियोपैथ के विकास पर मंथन किया

आजमगढ़। होमियापैथी साइंस कांग्रेस सोसाइटी द्वारा थाइलैंड के पटाया शहर में आयोजित इंटर सेमिनार आन होमियोपैथी में विशेषज्ञों ने होमियोपैथ के विकास पर मंथन किया। इस दौरान केंद्रीय होमियोपैथी परिषद के पूर्व सदस्य डा. भक्तवत्सल को होमियोपैथी के विकास के लिए किए गए योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
थाइलैंड से लौटे डा. भक्तवत्सल ने बताया कि सम्मेलन में होमियोपैथी विशेषज्ञों ने जहां अपने शोध प्रस्तुत किए वहीं होमियोपैथी के विकास पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरा चिकित्सकों को दूसरे देशों के विशेषज्ञों से अनुभव व शोध साझा करने का अवसर प्राप्त हुआ। डा. भक्तवत्सल ने सेमिनार में पथरी की बीमारी पर अपना अनुभव साझा किया और बताया कि गुर्दे की पथरी का अचूक उपचार होमियोपैथ में है। बिना आपरेशन के ही पेशाब के रास्ते पथरी को बाहर निकाला जा सकता है। डा. भक्तवत्सल के मुताबिक विशेषज्ञों का मानना है कि होमियोपैथ से गंभीर से गंभीर रोगों का उपचार संभव है। सस्ती व सुलभ होने के कारण गरीबों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण साबित हो रही है।
उन्होंने कहा कि होमियोपैथी में सबसे खास बात यह है कि यह बीमारियों को जड़ से समाप्त करती है। जबकि एलोपैथ सिर्फ रोग को दबाती है। यही वजह है कि आज पूरी दुनिया में होमियोपैथी की मांग बढ़ी है। डा. भक्तवत्सल ने बताया कि सेमिनार में पूर्व निदेशक होमियोपैथी उप्र डा. बीएन सिंह ने 21 शताब्दी में होमियोपैथी की भूमिका पर शोध प्रस्तुत किया। डा सुशील वत्स ने कार्लेजंगस एनालिटिकल साइकोलाजी इन लाइट आफ होमियोपैथी पर अपना रिसर्च प्रस्तुत किया। वहीं डा. वीवी सिंह नवाब, डा. अनिरूद्ध वर्मा ने भी अपना अनुभव चिकित्सकों के साथ साझा किया।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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