वाराणसी : भारतीय लोकतंत्र के महापर्व में एक अलग ही मिसाल देखने को मिली। पाकिस्तान के कराची में जन्मी दो बहनों ने भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए वोट किया। इसके साथ ही मतदान करने की खुशी भी जाहिर की। हिन्दुस्तानी पिता और पाकिस्तानी मां की संतान निदा और माहेरुख ने भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। दोनों बहनों को कुछ दिन पहले जब भारतीय नागरिकता मिली तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। दोनों बहनें आज अपने परिवार के साथ वाराणसी के आर्य महिला इंटर कॉलेज में वोट देने के लिए पहुंचीं। दरअसल, वाराणसी के पान दरीबा निवासी नसीम की शादी पाकिस्तान के कराची शहर की शाहिदा से हुई। इस दौरान नसीम पकिस्तान आते-जाते रहे। पाकिस्तान में ही नसीम और शाहिदा को दो बेटियां निदा और माहेरुख पैदा हुई। कुछ साल बाद जब मां शाहिदा को भारत की नागरिकता मिल गई तो दोनों बेटियां भी भारत आ गईं। इसके बावजूद इन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिली। भारतीय नागरिकता पाने के लिए दो साल तक की मशक्कतनसीम ने बताया कि शहीदा को तो 2007 में नागरिकता मिल गई पर बच्चियों को नहीं मिल पाई थी। इसके बाद नसीम और शाहिदा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनसंपर्क कार्यालय से संपर्क किया और दो साल की कागजी कार्रवाई के बाद उनकी बेटियों को भी भारतीय नागरिकता मिल गई। इसके बाद दोनों बहनों ने आज पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया। माहेरुख ने वोट देने के बाद बताया कि आज मुझे दुनिया की सबसे बड़ी खुशी मिली है। मुझे आज वोट देने का अधिकार मिला है, अपनी सरकार चुनने का अधिकार मिला है। मैं गर्व से कह सकती हूं कि मैं हिन्दुस्तान की बेटी हूं।
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