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वीआईपी प्रत्याशियों ने जीत कर वापस नहीं देखा आजमगढ़ को,दो ही बार आए यहां मुलायम

आजमगढ़ मोहसिना किदवाई,अकबर डम्पी और मुलायम सिंह सभी का रिकॉर्ड सामने हैं  

रिपोर्ट : सूरज जायसवाल :: आजमगढ़ से भाग्य अजमाने आ रहे दो मजबूत दावेदारों को लेकर यहां के मतदाता काफी परेशान नजर आ रहे हैं। क्योंकि इस सीट पर पहले भी वीआईपी रहे बाहरी प्रत्याशी जीते, पर जीत हासिल कर कर कभी लौटे नही, नेता जी के दर्शन को लोग तरसते ही रह गये। बाहरी होते हुए भी आजमगढ़ ने उन्हें अपने पलकों पर बैठा कर संसद में भेजने का काम किया। इसके बाद उन्हे संसदीय क्षेत्र मे फिर नही देखा गया। चुनाव से पहले ही उन्होंने आजमगढ़ छोड़ने का एलान भी कर दिया। मुलायम को जीता कर आजमगढ़ के लोग इस बार स्थानीय प्रत्यासी पर विचार कर ही रहे थे कि अचानक अखिलेश यादव का यहा से एलान हो गया। यहा के मतदाताओ के सामने वही उमीदवार फिर आ खडे़ हो गये, जिससे यहा के लोग तौबा करना चाहते थे।अखिलेश यादव के यहा से उतारे जाने को लेकर पूर्व साँसद रमाकान्त यादव अब और सक्रिय होना चाहते थे। इसके लिये उन्होने बाहरी उमीदवार को लेकर हमले भी शुरू कर दिए थे, पर भाजपा ने यहा निरहुआ को भेज कर उनके मुद्दे की हवा ही निकाल दी। सपा के अखिलेश के मुकबले बीजेपी दिनेश लाल यादव निरहुआ को तैयार कर रही है। निरहूआ के आने के बाद दोनो दलो से यहा आमन सामने बाहरी उमीदवार ही इस बार भाग्य अजमायेगे। इसके पहले यहां से दो बाहरी उम्मीदवारों को जनता ने चुनकर उन्हें संसद में भेज चुकी है। जीत कर यहा से गये इन माननीयो ने आजमगढ़ की ओर मूड़ कर कभी नही देखा। पूरे 5 वर्षों में सांसद मुलायम सिंह यादव सिर्फ दो ही बार यहा अवतरित हुए। जबकि कांग्रेस की मोहसिना किदवई आम चुनाव तक भी यहा नहीं लौटी। इसके बाद भी दोनो प्रमुख दलों से बाहरी उम्मीदवार को मौका दिया जा रहे हैं। इसके चलते एक बार फिर यहा के मतदाताओ को फिर किसी बाहरी को ही चुनने के लिए मजबूर होना पडे़गा।
सपा अध्यक्ष व पूर्व सीएम अखिलेश यादव की उम्मीदवारी को लेकर यहां एक बार फिर बहस छिडी़ हुयी है। लोग कहते हैं पिता जीतकर गया और लौटा ही नहीं, अब पुत्र मैदान में आने को तैयार हो रहा है। इसे लेकर पूर्व सांसद रमाकांत यादव का कहना हैं दोनों पिता-पुत्र आजमगढ़ को चरागाह बना लिया है। सोशल मीडिया में भी लोग क्षेत्रीय सांसद को चुनने पर बल दे रहे थे। आजमगढ़ से दो बाहरी सांसद यहा से जीत कर गए। एक तो कभी लौटी नहीं, दूसरे ने दो ही बार यहां कदम रखे। यही नहीं दिल्ली से यहां कमल खिलाने आए एक नेताजी हार कर फिर कभी नही लौटे। इसके बाद भी भाजपा बाहरी उमीदवार से ही उमीद लाये बैठी हुई थी और हुआ भी यही भाजपा की ओर से भोजपुरी स्टार कलाकार दिनेश लाल यादव निरहुआ को यहां से उतार दिया गया है।
एक तरफ आजमगढ़ में बाहरी उम्मीदवारों की दावेदारी हो रही है तो वहीं, इसी जिले के लालगंज लोकसभा क्षेत्र से बसपा उम्मीदवार घूराराम को विदा कर दिया गया है। मायावती को उन्हें इसलिए नापना पडा़ क्योकि वह यहा के लिये बाहरी थे। अब यहा से लालगंज के विधायक की पत्नी को उतारा गया है।
1977 के कांग्रेस विरोधी लहर में जनता पार्टी के राम नरेश यादव ने जीत दर्ज की थी। उनके मुख्यमंत्री बनने से खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस की मोहसिना किदवई जीती थी। वह आम चुनाव तक भी यहा लौट कर नहीं आई। इस प्रकार 2014 में सपा के मुलायम सिंह यादव ने भी यहीं से जीत दर्ज की। पूरे 5 वर्ष में उनका यहा सिर्फ दो ही बार आगमन हुआ था वह भी संयोगवश । इसके बाद से ही वह फिर अपने संसदीय क्षेत्र में नहीं देखे गए। 2004 में भाजपा ने कमल खिलाने के लिए दिल्ली से चौधरी शाह मोहम्मद को यहां भेजा था। वह भी हारने के बाद कभी दर्शन नहीं दिए। भाजपा ने एक बार फिर बाहरी पर ही दांव खेल दिया है। वैसे नैनीताल से ताल्लुक रखने वाले आजमगढ़ निवासी अकबर अहमद डंपी भी इन्हीं बाहरियों में से एक है। वह भी चुनाव के दौरान ही आजमगढ़ मे देखे जाते थे। वह यहा से दो बार सांसद चुने गये। पर उनका कार्यकाल दोनो ही बार छोटा ही रहा। अब देखना यह कि आजमगढ़ से निर्वाचित होने वाले अपने दोनों ही बाहरी प्रत्याशी में से कौन सांसद बन यहां से कितना लगाव रखता है। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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