आज के नेताओं को हज़रत अली के राजनीतिक संदेश से सबक लेना चाहिए - मौलाना मासूम असगर
विभिन्न अन्जुमनो व कमेटियों द्वारा मेहफ़िल का आयोजन किया गया
सरायमीर : आज़मगढ़: मुसलमानों के चौथे खलीफा व शिया समुदाय के पहले इमाम हज़रत अली का जन्म दिन कस्बा सरायमीर व ग्रामीण क्षेत्रों मे धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर मस्जिदों, इमामबाड़ो व मकानों को लाइटों से सजाया गया है और विभिन्न अन्जुमनो व कमेटियों द्वारा नज़्र नेयाज़ व मेहफ़िल का आयोजन किया गया । कस्बा सरायमीर के मोहल्ला मीर हसन स्थित मरहूम सैयद अली हैदर के मकान पर मेहफ़िल का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता करते हुए शिया जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मासूम असगर साहब ने कहा कि हज़रत मोहम्मद साहब के उत्तराधिकारी हज़रत अली का जन्म पवित्र स्थल काबा मे हुआ, आप की जिन्दगी एक कामयाब जिन्दगी थी चाहे वो इल्म का मैदान हो या बहादुरी का। हजरत अली ने अपनी पूरी जिन्दगी अल्लाह की खुशनूदी हासिल करने मे लगा दी और अपनी 63 साल की जिन्दगी मे वह किरदार पेश किया जो दुनिया वालों के लिए नमूना है। कुरआन पाक की आयतें आप के किरदार को उजागर करतीं हैं। मौलाना ने कहा कि हजरत अली के 4 साल के दौर होकूमत मे ना कोइ आदमी भूखा सोया और न किसी जालिम ने किसी पर ज़ुल्म किया। हजरत अली ने अपनी पूरी जिंदगी लोगों की खिदमत मे गुज़ार दी लेकिन कभी सरकारी पैसों का अपने लिए इस्तेमाल नही किया। मौलाना ने कहा कि आज के नेताओं को हज़रत अली के राजनीतिक संदेश से सबक लेना चाहिए। राजनीति को सही रास्ते पर चलाना है तो मौला अली के रास्ते पर चलना होगा । मेहफ़िल मे शायरों ने हज़रत अली की शान मे अपने काव्य पाठ से खूब वाह वाही लूटी। मेहफ़िल मे शिया कमेटी अध्यक्ष कायम रज़ा, मीडिया इंचार्ज मोहम्मद हुसैन, कैसर हसन, वकील हुसैन, जावेद अब्बास, तनवीर अब्बास के ऐलावा अधिक संख्या मे लोग मौजदू थे। दूसरी तरफ़ बेलहरी इमाम अली मे जश्ने मौलूदे काबा का आयोजन किया गया जिसको संबोधित करते हुए मौलाना सैयद आबिद रज़ा मोहम्मदाबादी साहब ने हज़रत अली की जीवनी पर विस्तार से रौशनी डाली और उस पर चलने की नसीहत की शौला जौनपूरी की अध्यक्षता और सहर अर्शी के संचालन मे शायरों ने अपना कलाम पेश किया आखिर मे जश्न के आयोजक सैयद अली हैदर ज़ैदी ने सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया ।
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