बारूद के धमाकों के बीच जब युवाओं ने संभाली कमान तो बच पाई सकी कई जाने
एकता की मिसाल, हादसे के बाद राहत कार्य में एक साथ कूद पड़े हिंदू मुस्लिम नौजवान
आजमगढ़: कहते हैं कि इन्सान की पहचान बुरे वक्त में होती है। इन्सासियत अभी जिंदा है इसका प्रमाण रविवार को शहर के मुकेरीगंज में हुए हादसे के दौरान देखने को मिला। पटाखा गोदाम में आग लगने के बाद पूरे शहर में अफरातफरी का माहौल था और धमाकों की गूँज से लोग सहमें हुए थे। सड़क पर चलने वालों को भी बारूद अपना शिकार बना रहा था। उस समय पड़ोस के मदरसे जमातुल राशाद के मुस्लिम छात्र, मौलाना और स्थानीय हिंदू युवा आग के बीच घिरी जिन्दगियों को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे। इनके अलावा स्थानीय लोगों ने भी आगे बढ़ कर सभी की मदद की। कोई इनके लिए आगे दौड़ दौड़ कर रास्ता बना रहा था तो कोई घायलों को एम्बुलेंस में डालने में हाथ बढ़ा रहा था। कुछ युवक फायर ब्रिगेड दल के साथ पानी के पाइप पकडे हुए थे। अगर ये युवा न होते तो शायद जो लोग अस्पतालों में भर्ती हैं उन्हें बाहर निकालना आसान नहीं होता। राजनीति के जरिये समाज में जाति और धर्म का जहर बो रहे लोगों के लिए यह किसी सबक से कम नहीं हैं। बता दें की रविवार को मुकेरीगंज स्थित पटाखें की गोदाम में आग लगने से इतनी बड़ी जनहानि हुई। यहां सात लोगों की मौत हो गयी और 10 लोग जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। उक्त मोहल्ले में खिलाड़ी गुप्ता के मकान में किराना, रोड लाइट, फ्लावर डेकोरेशन की दुकान थी। पीछे के हिस्से में पटाखे का गोदाम बनाया गया था । खिलाड़ी रविवार को घर के बाहर से लोहे की सीढ़ी बनवा रहा था। बताया जा रहा है कि इसी दौरान बेल्डिंग की चिंगारी गोदाम तक पहुंच गयी और देखते ही देखते बारूद ने तांडव शुरू कर दिया। इस मकान में कुछ किरायेदार भी रहते थे। आग के शोले इतने तेज थे कि पूरे घर में आग फैलने के कुछ मिनट भी नहीं लगे। किसी को बाहर निकले का मौका नहीं मिला। लगातार हो रहे धमाकों में लोगों की चींखे दब गयी। जगह जगह बिल्डिंग टूट कर टूटकर गिरने लगी थी । फायर ब्रिगेड भी आग के आगे बेबस नजर आयी। घंटों के प्रयास के बाद जब आग पर थोड़ा काबू पाया गया तो मदरसे के लोगों और स्थानीय युवाओं ने कमान संभाल ली। मकान में फंसे लोगों को निकालने के मदद के साथ ही उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने का कार्य किया। कई घंटों की जद्दोजहद के बाद लोगों को अस्पताल पहुंचाया जा सका। इसके बाद जब चिकित्सकों ने गंभीर लोगों को रेफर किया तो उन्हें हायर सेंटर भेजने में भी युवाओं ने मदद की। हर कोई उनके इस प्रयास की सराहना करता नजर आया।
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