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राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं कांग्रेस के लालगंज प्रत्याशी पंकज मोहन सोनकर

भाजपा को रोकने को कांग्रेस का है यह कदम, तीन बार लालगंज सीट पर बसपा और दो बार सपा का रहा कब्जा

सपा बसपा गठबंधन को हो सकता है फायदा , कांग्रेस लालगंज इकाई के अन्य वरिष्ठ नेताओं में भी हड़कंप 

आजमगढ़.: यूपी में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस ने गठबंधन में जगह न मिलने के बाद अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिये है। पार्टी ने आजमगढ़ जिले की लालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट से पंकज मोहन सोनकर को मैदान में उतार दिया है। पंकज मोहन को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। पंकज के मैदान में आने से बीजेपी की मुश्किल बढ़ गयी है। कारण कि लालगंज भाजपा सांसद नीलम सोनकर की जीत का बड़ा कारण पिछले चुनाव में सोनकर मतदाताओं की बीजेपी के प्रति लामबंदी थी। अब इस जाति के मतों में बटवारा लगभग तय हो गया है। इसका सीधा फायदा गठबंधन को मिल सकता है। इतना ही नहीं टिकट घोषणा के साथ ही लालगंज कांग्रेस संगठन में भी वरिष्ठ नेताओं के एक गुट को पंकज का टिकट गले नहीं उतर रहा है। कांग्रेस में ही टिकट के कई दावेदार भी विरोध का बिगुल फूंकने को तैयार है। प्रदेश कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और वरिष्ठ नेता आशुतोष द्विवेदी ने इस निर्णय के लिए जहाँ पार्टी आलाकमान का स्वागत किया है वहीँ उन्होंने पंकज मोहन सोनकर को स्वयं मिठाई खिला कर बधाई दी है लेकिन  सूत्रों की मानें तो लालगंज इकाई से जुड़े कुछ लोगों ने कांग्रेस जिला अध्यक्ष हवलदार सिंह से इस प्रत्याशी चयन पर अपना विरोध दर्ज करा दिया है। आने वाले दिनों में विरोध की ये चिंगारी हाईकमान तक पहुंच सकती है। ऐसी स्थिति में पंकज को अपनों को साधना टेढ़ी खीर साबित होगी।
बता दें कि पंकज मोहन सोनकर मूलरूप से लालगंज संसदीय क्षेत्र के कटघर के रहने वाले है और वर्तमान में जिला मुख्यालय स्थित हरबंशपुर में आवास बनाकर रहते है। उनके पिता मदन मोहन सोनकर हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं। पंकज ग्रेजुएशन के बाद डाक्टर बनना चाहते थे लेकिन एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी नहीं कर सके और राजनीति में कदम रख दिया। वर्तमान में वे कांग्रेस लालगंज क्षेत्र के अध्यक्ष है। इन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। टिकट मिलने की बड़ी वजह भी यही बताई जा रही है। वैसे लालगंज क्षेत्र में सोनकर जाति के लोगों की संख्या काफी है। पार्टी जातीय आधार पर इसका फायदा भी उठाना चाहती है। कारण कि वर्तमान में सोनकर जाति की ही नीलम यहां से सांसद है। उनको बीजेपी से टिकट मिलना लगभग तय माना जा रहा है। वहीं गठबंधन ने पूर्व मंत्री घूराराम को मैदान में उतारा है। हालांकि भाजपा ने अभी तक लालगंज सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
पंकज के मैदान में आने के बाद यहां सीधा नुकसान बीजेपी को होता दिख रहा है। कांग्रेस का उद्देश्य भी बीजेपी को केंद्र की सत्ता में आने से रोकना है। अब कांग्रेस यह सीट जीत पाएगी या नहीं यह तो समय बतायेगा लेकिन उसके दाव ने बीजेपी की मुश्किल को बढ़ा दिया है। पंकज का दावा है कि लालगंज की जनता को पिछले तीस साल से छला गया है। तीन बार बसपा और दो बार यहां से सपा का सांसद रहा लेकिन क्षेत्रीय दल होने के कारण यह लोग यहां का विकास नहीं कर सके। अब इन्होंने जातीय आधार पर ठगबंधन कर लिया है जिसका जनता पर असर नहीं है। आम आदमी गठबंधन और बीजेपी से नाराज है और कांग्रेस की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है। रहा सवाल चुनावी मुद्दे का तो वे वाराणसी वाया लालगंज, आजमगढ़ होते हुए गोरखपुर तक नई रेल लाइन के निर्माण को मुद्दा बनायेगे और कांग्रेस सत्ता में आई तो इसे पूरा कराएंगे।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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