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श्रीकृष्ण गौशाला :सुदामा की मित्रता को निभा भगवान ने दीनदयालु नाम को सार्थक किया

आजमगढ। श्रीकृष्ण गौशाला समिति के शताब्दी वर्ष पर नारायण सेवा संस्थान के सहायतार्थ आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास राधा किशोरी ने अमृत वर्षा करते हुए श्रद्धालुओं को जीवन का सार बताया। कथा व्यास राधा किशोरी ने कहा कि कलियुग में भागवत कथा से ही भक्तों का नैय्या पार होगी। जो भी जीव भागवत का आश्रय लेगा वह मुक्त हो जाएगा। मन की शुद्धि के लिए नारायण से बढ़कर कोई अन्य साधन नहीं है। श्रीमद् भागवत कथा के मात्र श्रवण से कलियुग में दैविक, दैहिक और भौतिक ताप से बचा जा सकता है। कथा के दौरान ठाकुर जी की 16107 विवाह, सुदामा एवं द्वारका नाथ की झांकी दर्शन प्रंसंग का मनमोहक झांकी देख सभी मंत्रमुग्ध हो गये। भागवत कथा के अंतिम चरण को सुनाते हुए कथा व्यास राधा किशोरी ने सुदामा के चरित्र का वर्णन करते हुए सुदामा की मित्रता को निभाकर भगवान ने अपने दीनदयालु नाम को सार्थक किया। सुदामा एवं द्वारका नाथ की झांकी की दर्शन ने श्रोताओं का मन मोह लिया। भक्तजन घंटों भक्तिरस में गोता लगाते रहे। कथा व्यास ने आगे शुकदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्री मद् भागवत कथा को पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगो का वर्णन किया। कथा व्यास ने अंतिम दिन की कथा मे अग्र पूजा के दौरान शिशुपाल द्वारा श्रीकृष्ण का अपमान करने के पश्चात् श्री कृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध, गुरू भक्त सुदामा एवं श्री कृष्ण का द्वारिका मे परम स्नेही मिलन, श्री कृष्ण का स्वधाम गमन एवं अंत मे राजा परिक्षित को मोक्ष प्राप्ति के प्रसंगो को सुनाया। कथा व्यास ने कहा कि आज भले ही कथा का अंतिम दिन हैं लेकिन वास्तविकता मे धर्म की कोई भी कथा कभी समाप्त नही होती कथा विराम लेती है और फिर से शुरू होती है। फिर शुकदेव महाराज का पूजन कर विदाई की गई। श्रीकृष्ण भक्ति की अविरल धारा बहती नजर आई।
कथा व्यास राधा किशोरी ने कहा कि व्यक्ति को सर्वदा धर्माचरण करना चाहिए क्योंकि धर्म से ही व्यक्ति धन, काम और मोक्ष को प्राप्त होता है और इस लोक के बाद किसी भी लोक में पुत्र, धन, स्त्री, यश काम में नहीं आता। परलोक में केवल पुण्य काम आते है और कलियुग में भगवान के भजन-कीर्तन मनुष्य का कल्याण करते है। कथा की शुरूआत कार्यक्रम संयोजक अभिषेक जायसवाल दीनू, भोलानाथ जालान, मनोज खेतान, विरेन्द्र आदि ने भागवत आरती से किया।
अंत में आरती, प्रसाद वितरण के साथ कथा को विश्राम दिया गया। कथा में अशोक रूंगटा, अजय अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, बाबी अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, चन्दन अग्रवाल, सुबाष सोनकर, जयप्रकाश यादव, श्रीराम आदि सहित भारी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद रहे।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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