आजमगढ़: घटना की सूचना ने जितनी सनसनी मचा दी थी उससे कुछ ज्यादा ही घटना के खुलासे ने मचा दिया। हम बात कर रहे हैं जनपद के रानी की सराय थाना क्षेत्र में 16 नवम्बर को दलित शिक्षिका के साथ हुए गैंग रेप प्रकरण की । गौरतलब है की वहां की एक दलित शिक्षिका ने आरोप लगाया था की एक राजनितिक पार्टी का झंडा लगे एक स्कॉर्पियो वाहन में सवार लोगों ने कोचिंग से लौटते समय उसके साथ सामूहिक दुराचार किया था। यह खबर हर तरफ सुर्ख़ियों में आ गयी थी। यहाँ तक की इस घटना का खुलासा करने को लेकर क्षेत्र में प्रदर्शन भी कर दिया गया था। पुलिस प्रशासन ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए कई टीमें बना हर एंगल से जांच शुरू कर दी थी। पर इस प्रकरण में गुरुवार को पुलिस ने चौंका देने वाला खुलासा करते हुए बताया कि सीसीटीवी फुटेज व अन्य ठोस साक्ष्यों के आधार पर यह साबित होता है की कथित पीड़िता के साथ दुराचार हुआ ही नहीं है यह सब उसने अपनी कल्पना से स्वांग रचा था की उसे अपने विकलांग पति के पास ससुराल न जाना पड़े। यही नहीं पीड़िता युवती ने भी अपने पूर्व के बयान से पलटते हुए गुरुवार को मीडिया से यही कहा की उसने यह काल्पनिक घटना क्रम बनाया था ताकि उसे ससुराल न जाना पड़े। इधर घटना के छः दिन बाद हुए खुलासे को लेकर लड़की के परिजन थाना पुलिस पर दबाव डालने का आरोप लगाते हुए हंगामा काट दिए। परिजन यह आरोप लगाते रहे की थाना पुलिस ने उनसे युवती से बात नहीं करने दी और नियम विरुद्ध जा कर रानी की सराय थाना की जगह बीती रात सिधारी थाना बुला कर देर रात तक पूछताछ करती रही। परिजन एसओ रानी की सराय पर दबाव बनाने का आरोप लगाते रहे। वहीँ दोपहर बाद जैसे ही गाँव में जानकारी हुई भारी संख्या में ग्रामीण पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर एक नेत्री के साथ पंहुचे और लोगों ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए इस खुलासे पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। यही नहीं नारेबाजी कर रही भीड़ ने महिला पुलिस के साथ बयान हेतु अदालत जा रही युवती की गाडी के सामने पंहुच जमकर नारे बाजी की। इधर सूचना मिलते ही नारेबाजी करती भीड़ को देखते ही शहर कोतवाली पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया। वहीँ सीओ सिटी ने बताया की पुख्ता वीडियो फुटेज और अन्य प्रमाणों के साथ मामले का पर्दाफाश किया गया है और युवती ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में भी गैंग रेप की घटना से इंकार किया है।
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