निजामाबाद-आजमगढ़: स्थानीय तहसील से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर तमसा व मंजूषा की पवित्र संगम पर स्थित प्रसिद्ध दुर्वासा धाम में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शुक्रवार को स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। यहाँ स्नान व दान का कार्य रविवार तक चलेगा। धाम पर क्षेत्र में लगे विशाल मेले में जहां लोग भारी खरीदारी कर रहे हैं वहीं चोर, उचक्कों की भी चांदी कट रही है। फूलपुर कोतवाली थाने ने सुरक्षा के ए पुलिस की व्यवस्था की है जिनका ध्यान कहीं और लगा हुआ है। श्रद्धालु गुरुवार को आधी रात के बाद से ही तमसा व मंजूषा के संगम पर स्नान करना शुरू कर दिए थे। बीते वर्ष की तरह इस बार भी नदी में पानी कम रहने से लोगों को स्नान करने में काफी कठिनाई हुई। इससे पहले गुरुवार की शाम को बटोर था। इसमें दुरस्त स्थानों के लोग पहले ही आकर धाम में जमा हो गए थे ताकि सूर्योदय से पहले वे स्नान कर ले। ऋषि दुर्वासा के धाम की महिमा ऐसी है कि वहां पर प्रतिदिन स्नान व दर्शन करने वाले पहुंचते रहते हैं लेकिन विशेष अवसरों पर वहां तिल रखने की भी जगह नहीं रहती। चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण, अमावस्या, मकरसंक्रांति, पूर्णिमा, दशहरा पर भी आसपास के गांव के लोग यहां भारी संख्या में जुटते हैं लेकिन सबसे अधिक भीड़ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर होती है। मेला क्षेत्र में जादू, झूला, चरखा आदि मनोरंजन के साधन लगभग 3 किलोमीटर के क्षेत्र में लगे हैं। शुक्रवार की सुबह होते, होते दुर्वासा धाम के चारों तरफ 3 किलोमीटर क्षेत्र में हजारों की भीड़ जमा हो गई। इस दौरान भिखारियों की भी खूब कमाई हुई,हालांकि उनके चलते श्रद्धालुओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। मेले में लोगों ने मिट्टी के बर्तन सूप, फावड़ा, कुदाल, खुरपी सहित गृहस्थी के सामानों की खरीदारी जमकर की, क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सूप की खरीदारी करने की परंपरा रही है। वहीँ पारखी दुकानदारों ने दूर के तीर्थ यात्रियों से सामानो की मनमानी कीमत वसूल कर बिक्री की। मेला क्षेत्र में लगभग एक दर्जन हैंड पंप सार्वजनिक रूप से लगे हैं लेकिन वह हजारों की भीड़ के लिए यह अपर्याप्त साबित हुए, कई हैंडपंप खराब पड़े हुए थे। दूसरी तरफ ऑटो चालकों और सवारी जीप वालों ने खूब मनमाना किराया वसूल कर आस्था पर चोट पहुंचाने का भी कार्य किया। यात्रियों को जहां अधिक किराया भुगतान करना पड़ रहा था वही निर्धारित स्थल से यह चालक एक डेढ़ किलोमीटर पहले ही उन्हें उतार दे रहे थे। ठूंस, ठूंस कर तो बैठाने की उनकी पुरानी आदत है जो बरकरार रही। यह सबस्थानीय पुलिस की कृपा की बदौलत होता रहा जिससे ऑटो चालकों सहित जीप वालों और पुलिस वालों ने भी मेले का आनंद उठाया । मेले मे चाट, मिठाईयो, खजला, सौन्दर्य प्रशाधन, के आलावा कृषि यन्त्र हाथा-खुरपी ,हसुआ, कुदाल , फरसा, घरेलू उपकरण, चौका बेलन ,तावा,हुक्का,आदि की दुकाने सजी थी। लोगो ने जमकर खरीदारी की ।झूला, चरखी ,रेलगाड़ी, सर्कस, मौत का कूवा, थियेटर भी आकर्षक का केंद्र रहा जिसका लोगो ने आनंद उठाया। मेले का भरपूर लाभ बच्चों ने कुछ अलग ढंग से ही उठाया। इसके अलावा सत रज तम के समन्वयक ऋषि दत्तात्रेय की पवित्र तपोस्थली पर भी कार्तिक पूर्णिमा का प्रसिद्ध ऐतिहासिक मेला लगा जहां श्रद्धालुओं ने तपोस्थली पर जाकर दर्शन करने के साथ-साथ कुंवर और तमसा के संगम तट पर डुबकी लगाई और मनोकामनाओं की पूर्ति की आकांक्षा हेतु दत्तात्रेय से मन ही मन आशीर्वाद मांगा। मेले मे घाट के हर आने-जाने वाले रास्ते पर भिखारियो की लम्बी लाइन लगी रही जिनको श्रद्धालुओं ने दिल खोल कर दान दिया ।
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