आजमगढ़। हिन्दी दिवस पर डॉ मनीषा मिश्रा के आराजीबाग स्थित आवास पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें जनपद के विभिन्न विद्यालयों सेंट्रल पब्लिक स्कूल, जीडी ग्लोबल स्कूल, एसकेपी, सेठवल, करखियां अग्रसेन आदि के हिन्दी शिक्षकों ने अपने विचार व्यक्त किये। गोष्ठी में हिन्दी के प्रति छात्रों में घटती रूचि को लेकर भी चर्चा की गयी। अंत में हिंदी के संवर्धन और विकास के लिए ‘हिंदी अनुरागी संस्था’ का गठन किया गया। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मनोज मिश्र ने कहाकि हिन्दी को रोजगारपरक सरल बनाने की आवश्यकता है। अनूप सिंह ने कहाकि इस उपेक्षा के लिए हम अभिभावक ही जिम्मेदार है। इसके अलावा प्राथमिक स्तर पर बच्चों की पुस्तक तक न पढ़ पाने की समस्या भी आगे बच्चों में सम्मान उत्पन्न करने में बाधक बनती है। विद्याभूषण ने हिन्दी को आत्मा और अन्य भाषाओं को मोह माया बताया। जिसके जाल में हम फंस कर आत्महन्ता बन रहे। आशुतोष ने कहाकि हमें हिन्दी के प्रति सकारात्मक सोच रखनी चाहिए और हिन्दी शिक्षण को गतिविधियों से जोड़ना चाहिए। श्रीमती संगीता सिंह ने कहाकि पहले से हिन्दी की स्थिति अपेक्षाकृत सही हुई है। हम ही हीन भावना के शिकार हुए है। हिन्दी राज्य संरक्षण से दूर अपने सहज प्रवाह में ही और ज्यादा समृद्ध होती जायेगी। हमें अहिन्दी भाषीय महपुरूषों जैसे गांधी, पटेल, लाजपत राय के हिन्दी संबन्धी योगदान को याद रखना चाहिए और अनिवार्य रूप से एक दक्षिण भारतीय भाषा सीखना चाहिए। छात्रों के हिन्दी सम्बन्धी रोजगारों की जानकारी देना हिन्दी के प्रति छात्रों की अभिरूचि जगा सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा मालती मिश्रा एवं संचालन मनीषा मिश्रा ने किया।
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