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नाड़ी परीक्षा से होती हर रोगो की पहचान-डा0 विवेक कुमार :कैम्प प्रत्येक माह की 22 तरीख को

आजमगढ़। आर्युवेद के क्षेत्र में नाड़ी परीक्षा रोग के पहचान की एक प्रभावशाली किफायती तथा हानिरहित पद्धति है। इसका क्षेत्र व्यापक है और यह किसी भी रोग के जड़ तक जाती है न कि मात्र लक्षण बताती है। आर्ट आफ लिविंग के जाने-माने नाड़ी विशेषज्ञ वैद्य डा0 विवेक कुमार ने बताया कि नाड़ी परीक्षा आपको आने वाली बिमारियो से सचेत करती है। ये आपको एक अन्र्तदृष्टि प्रदान करती है। जिससे आप अपने शरीर में उपस्थित प्रधानतत्वो के अनुकूल अपने स्वास्थ्य को उत्तमता प्रदान कर सकते है। आजमगढ़ में प्रत्येक माह की 22 तारीख को बैंगलुरू से आने वाले डा0 विवेक कुमार ने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में ये बाते कही। नाड़ी परीक्षा कराने के लिए मोबाइल नम्बर 9918300699 पर सम्पर्क कर सकते है।
डा0 विवेक ने बताया कि नाड़ी परीक्षा आपके रोगो का अचूक एंव विस्तृत पूर्वानुमान को दर्शाती है। आर्युवेदिक पद्धति द्वारा शरीर के अधिकांशतः हिस्से की जांच नाड़ी विधि द्वारा हो जाता है। न कोई टेस्ट कराने की जरूरत होती है। सिर्फ नाड़ी के माध्यम से बिमारियों का आकलन कर लिया जाता है। आर्युवेद मंे आसाध्य रोगो का ईलाज जैसे- मधुमेय, हृदय संबधी समस्या, सभी प्रकार के जोड़ो के दर्द, एलर्जी की समस्या, त्वचा, तनाव, ब्लड प्रेशर, अनिद्रा, बवासीर, खास तौर से पाचन संबधी रोगो का नियमित ईलाज करने से बिमारी जड़ से खत्म हो जाती है। अल्सर और डायलिसिस कराने वाले किडनी के रोगो का आर्युवेद में सबसे अच्छा और प्रभावशाली ईलाज है। इन बिमारियो का ईलाज आर्युवेदिक दवाओ के साथ-साथ आर्ट आफ लिविंग की यौगिक क्रियाओ द्वारा भी किया जाता है। जिससे रोगो से तेजी से निजात मिलता है। नाड़ी परीक्षा कराते समय एक बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि मरीज को खाली पेट या फिर भोजन के तीन घंटे बाद की जाती है। नाड़ी परीक्षा से सुक्ष्म रूप से शारीरिक एंव मानसिंक अवस्थाओ के साथ-साथ उनमें असंतुलन का भी पता लग जाता है। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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