आजमगढ़::बाबा भवरनाथ मंदिर में चल रही नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के तीसरे दिन प्रेम मूर्ति युवा संत सर्वेश जी महराज ने कहाकि पुत्री का विवाह सदा घर वर तथा कुल मनुकूल हो तभी करना चाहिए। संगीतमयी श्रीराम कथा में महराज ने शिव विवाह के प्रसंग को विस्तार पूर्वक सुनाया और कहाकि वधू पक्ष के यहां निमंत्रण में जाते है तो कभी भी व्यवस्था की निंदा नहीं करनी चाहिए और कभी भी युवा किसी बारात में नशा कर कदापि सम्मिलित न हो। हमें सभी का मान.सम्मान करना चाहिए। उन्होने कहाकि बाबा शिव जी का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ पर कभी भी दहेज का वर्णन नहीं आया। आज दहेज रूप दानव हमारे समाज को खोखला करता जा रहा हे। यह एक अअभिशाप बन चुका हे और आज इस दानव के अन्त के लिए युवाओं को आगे आना पड़ेगा तभी मुक्ति सम्भव है। प्रेममूर्ति सर्वेश जी महराज ने कहाकि नारी के लिए पति ही परेमेश्वर होता है पति का सम्मान हर स्त्री को करना चाहिए। नारी का प्रथम धर्म पति की सेवा है। जो स्त्री पति का निरादर करती है उसका स्थान सदा नर्क में ही होता है।
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