.

मनायी गयी अपने दर्शन पर अडिग रहे कार्ल मार्क्स की 200वीं जयंती

आजमगढ़:: नगर के रैदोपुर स्थित सामयिक कारवाँ कार्यालय पर शनिवार को महान चिन्तक कार्लमार्क्स की 200वीं जयन्ती का. बैजनाथ की अध्यक्षता में मनायी गयी। इस मौके पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डॉ. बीएन गौड़ ने कहाकि क्रान्तिकारी विचारधारा के प्रति पादन के कारण कार्लमार्क्स को अपने देश जर्मनी से निकाला गया। वे फ्राँस गये वहाँ की सरकार ने भी उन्हें निर्वासित कर दिया तो वे लन्दन चले गये परन्तु पूँजीवादी साम्राज्यवादी शक्यिों के सामने झुके नहीं और अपने दर्शन पर अडिग रहे। उनका दर्शन वर्ग संघर्ष का सिद्धांत कहलाया। का. जय प्रकाश ने कहाकि कार्लमार्क्सके सिद्वान्तों का प्रचार प्रसार जितना उनके जीवन काल में हुआ उससे अधिक उनके मरने के बाद हुआ। पूरी दुनिया दो भागों में बंट चुकी है, मार्क्सवादी एवं पूंजीवादी विचार धारा में। दुनियाँ के 70 प्रतिशत पूँजी का केंद्र एक प्रतिशत लोगों के हाथों में होना अन्याय है। इस कारण अमीर व गरीब वर्ग के बीच संघर्ष होना अपरिहार्य है। वशिष्ठ सिंह ने कहाकि मानव समाज का विकास वर्ग संघर्षों की देन है और वर्ग संघर्ष के सिद्वान्त की खोज कार्लमार्क्स ने की थी। डॉ. रवीन्द्र राय ने बताया कि कार्लमार्क्स की अनेक पुस्तकों में कम्युनिष्ठ पार्टी का घोषणा पत्र और पूँजी सर्वाधिक महत्वपूर्ण है जिसमें उन्होंने लिखा है कि दुनियाँ के मजदूर एकजुट हो जाओ, तुम्हारे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, सिवाय गुलामी की जंजीरों के और पाने के लिए सारी दुनियाँ है। उन्होंने बताया कि पूँजी एक ऐसा ग्रंथ है जिससे पूरी दुनियाँ में जब आर्थिक मंदी आती है तो उससे उबरने का रास्ता मिलता है। गोष्ठी में अनिल चतुर्वेदी, इन्द्रासन सिंह, अवधेश, अनीस, शिवधन यादव, अरविन्द विश्वकर्मा, राकेश आदि ने विचार व्यक्त किया। संचालन डॉ. रविन्द्र राय ने किया।

Share on Google Plus

रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

आजमगढ़ लाइव-जीवंत खबरों का आइना ... आजमगढ़ , मऊ , बलिया की ताज़ा ख़बरें।
    Blogger Comment
    Facebook Comment