आजमगढ़ :: दहेज हत्या के मुकदमे में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने आरोपी पति को 10 वर्ष के कारावास तथा सास को सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। जबकि पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में आरोपी ननद को दोषमुक्त कर दिया गया। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर-तीन संजय कुमार ने मंगलवार को सुनाया। मामला गंभीरपुर थाना क्षेत्र के दयालपुर (मिर्जापुर) गांव का है। वादी मुकदमा सिरपत चौहान तहबरपुर थाने के खरचलपुर गांव का निवासी है। उसने अपनी पुत्री रीता की शादी राजू चौहान पुत्र रमेश चौहान निवासी दयालपुर थाना गंभीरपुर के साथ वर्ष 2009 की थी। शादी के बाद दहेज में मोटरसाइकिल की मांग को लेकर रीता का ससुराल में उत्पीड़न किया जाने लगा। वादी मुकदमा सिरपत को 18 जुलाई 2012 को सूचना मिली कि ससुराल में रीता को फांसी लगाकर मार डाला गया। वादी सिरपत में इस हत्या के लिए पति राजू, सास राजवंती तथा ननद मनीषा के विरुद्ध गंभीरपुर थाने में नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई। सहायक शासकीय अधिवक्ता विनोद कुमार यादव ने वादी सिरपत, सुशीला, बाबूलाल, राजेंद्र चौहान, नायब तहसीलदार लालधर यादव, डॉ.सुरेंद्र उपाध्याय, कांस्टेबल रामचरण कुशवाहा, विवेचक सीओ हरेंद्र कुमार को बतौर गवाह कोर्ट में पेश किया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी पति राजू को 10 वर्ष कारावास तथा 12 हजार जुर्माना तथा सास राजवंती को सात वर्ष के कारावास तथा 12 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। जबकि पर्याप्त सबूत के अभाव में आरोपी ननद मनीषा को दोषमुक्त कर दिया। अदालत में जुर्माने की कुल राशि में से आधी रकम वादी मुकदमा को भी देने का आदेश दिया।
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