समाजसेवी संस्थाओं,प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से लगायी गुहार सगड़ी/आजमगढ़: सगड़ी तहसील क्षेत्र के ब्लॉक अजमतगढ़ अंतर्गत चुनुगपार निवासी हया फातिमा उम्र 5 वर्ष पुत्री रियासत हुसैन जब एक माह की थी तभी उसके थैलेसीमिया बीमारी से ग्रसित होने का पता चला जब खून की कमी के चलते जनपद के एक डाक्टर ने जांच कराया था। उसके इलाज के लिए पिता रियासत हुसैन को दर दर भटकना पड़ रहा है। पर कहीं से भी कोई सरकारी मदद नहीं मिलने से परिजन परेशान हैं और बच्ची को खून के इंतेजाम के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। बताया जा रहा है की जब हया फातिमा जब एक वर्ष की थी तो अचानक तबीयत बिगड़ गई। पिता ने जनपद के प्रतिष्ठित डॉक्टर के यहां इलाज शुरू कराया तो तीन बार खून चढ़ाने के बाद भी बार बार खून की आवश्यकता पड़ने लगी तो डॉक्टर ने खून का सैंपल लेकर जांच के लिए वाराणसी भेजा।जहा जांच के बाद इस भयंकर बीमारी का पता चला तो परिवार पर पहाड़ ही टूट पड़ा और आगे डाक्टर ने उसे लखनऊ रेफर कर दिया। तब से जिसने जहां भी बताया पिता ने वहां इलाज कराना शुरू किया।लखनऊ के सहारा हॉस्पिटल से लेकर दिल्ली के कलावती हॉस्पिटल एवं जयपुर के उदयपुर में सरकारी अस्पताल तक इलाज कराया और महंगे इलाज के चलते पिता की कमर टूटती ही चली जा रही है । वैसे तो पिता मदरसे में अध्यापक हैं जिसका वेतन भी 10 माह से नहीं मिला है जिसके लिए पूरा परिवार परेशान है और इलाज का खर्च उठाने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं अब जब भी बच्ची को खून की जरूरत पड़ रही है तो वह लोगों से गुहार लगा रहा है, तब जाकर कहीं से एक यूनिट ब्लड की व्यवस्था हो पा रही है पर जैसे जैसे उम्र बढ़ेगी बच्ची को और खून की जरूरत पड़ेगी तो समस्या खड़ी होती जा रही है। जिससे तक हार कर पिता ने बच्ची को बचाने और इलाज के लिए समाज सेवी संस्थाओं के साथ ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है। पिता रियासत हुसैन ने बताया कि जब लीलावती हॉस्पिटल दिल्ली में इलाज कराने पहुंचे और जांच आदि कराई तो रिपोर्ट देने में अस्पताल द्वारा काफी माह लगा दिया गया।उसके बाद किसी ने राजस्थान के उदयपुर में सरकारी अस्पताल बताया जहां जाकर वह इलाज कराने लगे पर काफी दूरी होने के कारण और असुविधा होने के चलते थक हारकर जनपद के सदर हॉस्पिटल से ही अब इलाज करा रहे हैं। जहां पर खून की लिए भटकना पड़ रहा है और जब किसी परिचित से गुहार करते है तो खून की व्यवस्था हो पाती है, जिसमे काफी कठिनाइयां उठानी पड़ रही है। रियासत की चार पुत्रियां जिसमें पहली पत्नी से अतिया खुशतर 15, आफिजानूर 10 वर्ष, शिफानुर 07 है। पहली पत्नी निसात अंजुम की मौत 12 साल पूर्व हो चुकी है।पर गरीबी के चलते महंगे इलाज के कारण पूरा परिवार परेशान है।उम्मीद है की यदि सरकारी मदत मिलती है तो हया फातिमा का इलाज बेहतर हो जाता।
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