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राष्ट्रीय सेमिनार:विशेषज्ञों ने असाध्य रोगों पर शोध प्रस्तुत कर साबित किया होमियोपैथी है श्रेष्ठ



यूपी में 2018-19 में 20 मेडिकल कालेज खोलने का प्रस्ताव-डा. रामजी सिंह 

होमियोपैथी अपनी गुणवत्ता पर समाज में लोकप्रिय होती जा रही है- डॉ भक्तवत्सल 
आजमगढ़: होमियोपैथिक मेडिकल एसोसिएशन व राजकीय होमियोपैथिक मेडिकल कालेज चंडेश्वर के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को राहुल प्रेक्षागृह सिधारी में राष्ट्रीय होमियोपैथिक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें जहां होमियोपैथिक के विकास पर विस्तार से चर्चा हुई वहीं, विशेषज्ञों द्वारा असाध्य रोगों पर किये गए शोध को तथ्यपरक ढंग से लोगों के सामने रखा गया। विशेषज्ञों ने यह साबित किया कि बिना आपरेशन अथवा दूसरी पैथी की मदद के बिना भी होमियोपैथी गंभीर बीमारियों को जड़ से समाप्त करने में सक्षम है। इस दौरान एलोपैथ की मल्टी नेशनल कंपनियों द्वारा होमियोपैथी को व्यापार बनाने की कोशिश पर चर्चा की गयी। संकल्प लिया गया कि होमियोपैथ के डाक्टर डा. हैनिमन के विचारों और विधा को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।
केंद्रीय होमियोपैथिक परिषद के अध्यक्ष डा. रामजी सिंह ने कहा कि उप्र ने जो चाहा परिषद ने वहीं किया जो मांगा वह दिया। आपने एक विषय में पीजी मांगा परिषद ने दिया। आप सात विषय में पीजी मांगिये परिषद देगा। उन्होंने कहा कि जब यूपी के दो कालेजों को बंद करने की बात हुई तो हमने विरोध किया। हमारा मानना है कि कालेज बंद करने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता बल्कि जरूरी संसाधन मुहैया कर के हम समस्या का समाधान कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यूपी में 2018-19 में 20 मेडिकल कालेज खोलने का प्रस्ताव है। होमियोपैथिक चिकित्सकों के लिए ब्रिज कोर्स का कोई प्रस्ताव शासन में नहीं आया है। बल्कि एलोपैथ के डाक्टर के लिए तीन महीने के ब्रिज कोर्स का प्रस्ताव आया था लेकिन परिषद ने इनकार कर दिया। हमने शिक्षा के क्षेत्र में काफी परिवर्तन किया। परिषद ने वेतनमान पर ध्यान दिया और इस पर भी काम किया है। अगले साल से पीजी में नीट लागू कर दिया गया है। पचास प्रतिशत से कम मार्क होने पर पीजी और यूजी में एडमीशन नहीं होगा। आज ज्यादातर कालेजों में पीजी की सीट खाली है। व्यवस्था में सुधार के लिए शिक्षकों का बायोमेट्रिक हस्ताक्षर कर दिया गया है। हम ऐसा साफ्टवेयर डेबलेप कर रहे है कि हम परिषद में बैठकर देख सकेंगे कि हमारा शिक्षक क्या कर रहा है। यह व्यवस्था 15 फरवरी तक लागू होगी। अभी हमारा 21 देशों से समझौता हुआ है। पिछले दिनों भारत और इजराइल में रिसर्च के लिए अहम समझौता हुआ है। उन्होने कहा कि कुछ मल्टी नेशनल कंपनियो की साजिश है जो ब्रिज कोर्स की चर्चा चलाकर अपने अवैध व्यापार को साधना चाहती है।
केंद्रीय अनुसंधान परिषद के निदेशक डा. आरके मनचंदा ने कहा कि पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस पर शोध किया जा रहा है। इस बीमारी के रोकथाम में होमियोपैथिक दवायें प्रभावी है। हम प्रयास करें तो इसे और प्रभावी बनाकर इंसेफेलाइटिस को समाप्त करने के लक्ष्य को हासिल कर सकते है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कालेज में 24 के स्थान पर 43 शिक्षक होने वाले हैं इससे रिसर्च के अवसर बनेंगे। पहले कहा जाता था कि हमारे पर रिसर्चर उपलब्ध नहीं लेकिन आज है। पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले समय में वही लोग सक्षम होंगे जिनके पास डेटा होगा। अगर यूपी ईस्ट के सारे चिकित्सक मिल जाय तो यह हो ही नहीं सकता है कि होमियोपैथ में इंसेफेलाइटिस का सही उपचार न हो पाए।
निदेशक होमियोपैथिक उप्र डा. बीके बिमल ने कहा कि होमियोपैथी के विकास के लिए सरकार तत्पर है। सरकार ने सभी 75 जिलों में जिला होमियोपैथिक चिकित्साधिकारी की तैनाती की है। लखनऊ के नेशनल होमियोपैथिक कालेज में पांच एकड़ भूमि पर हबर्ल गार्डेन के लिए साढे पांच करोड़ कर बजट दिया है। चिकित्सकों के संबिदा पर भर्ती का सवाल है तो प्रस्ताव बना है। 2001 में संबिदा पर लिए गए चिकित्सकों में छह अब भी कार्यरत है। बड़ी बात यह है कि उनको भी समान सेलरी मिल रही है। चिकित्सा अधिकारी को संबिदा पर लेने के लिए सरकार गंभीर है। उन्होंने कहा कि 2017-18 में दो पीजी कालेज का प्रयास किया जा रहा है। विभाग के पास बजट की कोई कमी नहीं है। 22 करोड़ 50 लाख केवल आयुष मिशन का हमारा अपना बजट है। इस साल केवल 2.40 करोड़ की दवा खरीदी गयी है। किसी जिले से डिमांड ही नहीं है। निदेशालय का बजट 400 करोड़ है। आप केवल प्रस्ताव दीजिए हम उसपर अमल करेंगे। होमियोपैथी का विकास सरकार की प्राथमिकता में शामिल है।
लालबहादुर शास्त्री मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आनंद चतुर्वेदी ने कहा कि हमाई हमारी आवाज को हर स्तर पर उठाती है। हम तकनीकी कमियों के कारण पीजी नहीं शुरू कर पा रहे है लेकिन उन कमियों को दूर कर जल्द ही हम एमडी शुरू कर सकेंगे। बहुत पहले यहां एचडीआरआई की स्थापना हुई थी लेकिन यहां अधिकारियों की लगातार कमी हो रही है। कुछ ऐसा किया जाय कि वे अपने स्थाई भवन में चले जाय। ताकि बेहतर काम हो सके। इस दौरान उन्होंने प्रस्ताव रखा कि राजकीय मेडिकल कालेज के सामने आयुर्वेद की खाली भूमि पड़ी है। जबकि मेडिकल कालेज के पास भूमि की कमी है। ऐसे में यदि यह भूमि होमियोपैथिक कालेज को मिल जाय तो व्यवस्था में सुधार संभव है। छात्रावास बन गया है लेकिन बेंच नहीं है। इन समस्याओं का समाधान होना चाहिए।
हमाई बिहार प्रांत के अध्यक्ष डा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि होमियोपैथिक को ऊंचाई तक ले जाना हम सभी की जिम्मेदारी है। सरकार ने इस पर ध्यान दिया है। डा. रामजी सिंह के प्रयास से आज हमारी सरकारी क्षेत्र में भी भागीदारी है। हमे इस भागीदारी को और बढ़ाना है।
पूर्व मंत्री दर्जा प्राप्त डा. शैशेल त्रिपाठी ने कहा कि भारत सरकार ने ब्रिज कोर्स की बात की है यह अच्छी है लेकिन डर है कि कहीं डा. हैनिमन ने जिस धारा से निकलकर एक अलग पैथी को जन्म दिया वह दूसरी पैथी में समाहित होकर समाप्त न हो जाये। हमें होमियोपैथी को आगे बढ़ाने के लिए काम करना है। हम चाहेंगे कि हमारे मेडिकल कालेज में जो विसंगतियां है उसे सरकार दूर करे।
डा. सलमानी ने कहा कि एलोपैथ जहां फेल हो जाती है वहां भी होमियापैथिक बेहतर परिणाम दे रही है। हम असाध्य रोगों का भी इस पैथी से बेहतर उपचार कर सकते है। सबसे अहम है कि हम इस पैथी से रोग को जड़ से समाप्त करते है।
आयोजन समिति के अध्यक्ष डा. भक्तवत्सल ने कहा कि होमियोपैथी अपनी गुणवत्ता पर समाज में लोकप्रिय होती जा रही है। इस चिकित्सा पद्धति में डा. हैनीमन के सिद्धांतों पर चलकर ही सफलता हासिल की जा सकती है।
इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय होमियोपैथिक परिषद के अध्यक्ष डा. रामजी सिंह, निदेशक सीसीआरएच डा. आरके मनचंदा, निदेशक होमियोपैथिक उप्र डा. वीके विमल, सदस्य केंद्रीय होमियोपैथिक परिषद डा. वीबी सिंह नवाब, डा. भक्तवत्सल, डा. आनंद चतुर्वेदी ने होमियोपैथिक के जनक डा. हैनिमन के प्रतिमा पर माल्यापर्ण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया। राजकीय होमियोपैथिक कालेज चंडेश्वर की छात्राओं ने स्वागत गीत और सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया। संचालन डा. प्रमोद गुप्ता ने किया।
प्रांतीय अध्यक्ष एचएमएआई डा. डीपी सिंह, प्रांतीय महासचिव एचएमआई डा. संजय मिश्रा, प्रांतीय महासचिव पीएचएमएस उ.प्र. डा. प्रभाकर राम, स्वागताध्यक्ष डा. राजेश तिवारी, संचालन डा. प्रमोद गुप्ता, डा़ नेहा दुबे, डा. नम्रता श्रीवास्तव, डा. नवीन दुबे, संयोजक डा. देवेश कुमार दूबे, डा. राजेन्द्र राजपूत, डा0 रणधीर सिंह, डा.धर्मराज सिंह, डा.एके राम, डा. वी. पांडेय, डा. सीजे मौर्य, डा. राजीव आनन्द, डा. एके सिंह, डा. एसपी सिंह, डा. सम्पूर्णानन्द अस्थाना, डा. एस.के. राय, डा. अभिषेक, डा. नीरज सिंह, डा. चमन लाल, डा. राजेश सिंह, डा. पूजा पांडेय, डा. राजीव आनन्द, डा. मनोज मिश्रा, डा. प्रभात, डा. राजकुमार, डा. वी पांडये, डा. ज्ञानप्रकाश सिंह, डा. बम्हदेव द्विवेदी, डा. संजय गोंड, डा. नित्यानंद दूबे, डा. वीरेन्द्र त्रिपाठी, डा. एचएन पांडये, डा. बब्बन सिंह, डा. नरेन्द्र श्रीवास्तव, डा. अशोक सिंह, डा. अभिषेक पांडेय, डा. डीपी सिंह, डा. अशोक सिंह, डा. श्यामनरायण सिंह, डा. सलमानी, डा. रणधीर सिंह, डा. वी पांडेय।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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