आजमगढ़ : शिशु व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ डी डी सिंह ने 10फरवरी 2018 को चाइल्ड केयर क्लिनिक पर आयोजित 'नेशनल डीवॉर्मिंग डे' कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं और स्कूली बच्चों को परजीवी कृमि संक्रमण से संरक्षित करने के लिए और इसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रत्येक वर्ष 10 फरवरी को नेशनल डीवॉर्मिंग डे के रूप में मनाया जाता है। सर्वप्रथम इस दिवस का आयोजन वर्ष 2015 में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किया गया था। जिसके अंतर्गत 1 से 2 वर्ष के बच्चों को आधी खुराक दी जाती है, जबकि 2-19 वर्ष के बच्चों को पूरी खुराक दी जाती है। यह डीवॉर्मिग गोलियां चबाने योग्य होती हैं। डॉ डी डी सिंह ने कहा कि यह संक्रमण मुख्य रूप से स्वायल ट्रांसमिटेड हेलमिन्थस (एसटीएच) अर्थात पेट के परजीवी से होता है। यह परजीवी पेट में पाए जाते हैं, यह खुले में शौच से संक्रमित हुई मृदा को छूने आदि से बच्चों की आतों में पहुँच कर अंडे देते हैं और बच्चों के पोषण को अपने विकास में प्रयोग करते हैं। अंततः यह क्रिया कुपोषण, एनेमिया, मानसिक रोग और कुष्ठ रोग जैसी बीमारियों को जन्म देती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में सबसे ज्यादा एसटीएच भारत में हैं, जिसके कारण 1 से 14 वर्ष के 220 मिलियन बच्चों के स्वास्थ्य को खतरा है। इस कैम्पेन के अंतर्गत बच्चों को स्कूल और आंगनवाड़ी स्तर पर डीवॉर्मिग गोलियों का वितरण किया जाता है। इसके अतिरिक्त बच्चों को नाखून काटने, हाथ धोने, अपने पैरों को अच्छे से ढकने और स्वच्छता बनाए रखने के लिए शौचालय का उपयोग करने के लिए शिक्षित किया जाता है। इस अवसर पर राजनाथ कुमार, राना कुमार, सुनील सिंह, रोहित श्रीवास्तव सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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