आजमगढ़:’ "देशवा के मोरे सम्मान दा, हे माई सुरसती वरदान दा’ जैसे कालजयी भोजपुरी सरस्वती वंदना के रचयिता एवं ख्यातिलब्ध साहित्यकार और कवि रामप्रकाश शुक्ल निर्मोही जी बीती रात इस फानी दुनिया से रुखसत हो गए। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जनपद के इस महाकवि ने लंबी बीमारी के चलते सोमवार को बसंत पंचमी के दिन देह त्याग दिया। उनके निधन की खबर से जिले के साहित्य जगत में शोक की लहर व्याप्त है। दिवंगत आत्मा के लिए जिले में जगह-जगह श्रद्धांजलि सभाओं का क्रम जारी है। इसी क्रम में सामयिक कारवां पत्रिका के कार्यालय पर मंगलवार को साहित्यकार डा रविन्द्र नाथ राय की अध्यक्षता में शोकसभा का आयोजन किया गया। जिसमें निर्मोही जी को श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए उनके व्यक्तित्व व कृत्तिव पर प्रकाश डाला गया। डा0 रविन्द्र नाथ राय ने बताया कि जिले के देवारांचल क्षेत्र के हैदराबाद देवारा गांव में जन्मे निर्मोही जी ने अपनी शिक्षा व साहित्य में रूचि व कड़ी मेहनत के दम पर समाज में इतना ऊंचा मुकाम हासिल किया कि वहां तक विरले ही पहुंच पाते है। वह भोजपुरी की प्रयोगधर्मी काव्यधारा के महान व्यक्तित्व थे। उनकी कविताओं में स्त्री विमर्श की पीड़ा साफ झलकती है। कवि हृदय के साथ साथ पत्रकारिता के क्षेत्र से भी उनका गहरा लगाव रहा। अनिल कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि निर्मोही जी श्री दुर्गा जी पीजी कालेज चंडेश्वर में प्रशिक्षण विभागाध्यक्ष, रीडर के साथ-साथ वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल विवि जौनपुर के फैकल्टी आफ एजुकेशन ‘डीन‘ के पद पर कार्य करते हुए सेवानिवृत्त हुए थे। उनकी कृतियों में आजमगढ़ का इतिहास सहित कई पुस्तकों एवं शोध ग्रंथों का लेखन मशहूर है। श्रद्धाजंलि सभा में दिवाकर तिवारी, शिवधन यादव, रामाधार चैहान, जयप्रकाश, अरविन्द, दान बहादुर मौर्य, संतोष यादव, मीनू राय आदि मौजूद रहे। इसी क्रम में रंगमंच से जुड़े हुनर संस्थान के कलाकारों की बैठक रैदोपुर स्थित कार्यालय पर हुई। बैठक में सभी कलाकारों ने उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर रंगकर्मी सुनील दत्त विश्वकर्मा ने कहा कि उनके निधन से जनपद का रंगमंच सूना हो गया है। एक समय था जब कला भवन के मंच पर इनकी आवाज गूँजती थी तो दर्शक तालिया बजाते थे लेकिन अब न कलाभवन रहा और न ही निर्मोही जी। उन्होनें स्वर्गीय निर्मोही के निधन को जनपद के कला, साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति बताया। श्रद्धाजंलि अर्पित करने वालों में गौरव मौर्य, हेमंत श्रीवास्तव, सत्यम शर्मा, कमलेश सोनकर, राकेश कुमार, आकाश गोंड़, शशि सोनकर, डॉशशिभूषण शर्मा ,अमरजीत विश्वकर्मा, हरिओम सहित आदि साथी मौजूद रहे। इसी क्रम में लोक मनीषा परिषद और दृष्टि नाट्य मंच के संयुक्त तत्वावधान में रैदोपुर स्थित कार्यालय पर गतात्मा को भावभीनी श्रद्धाजंलि दी गयी। संस्था अध्यक्ष जन्मेजय पाठक ने कहा कि उनकी याद सदैव आती रहेगी। नाट्य निर्देशक राघवेन्द्र मिश्र ने उनके साथ गुजारे गये समय को साझा किया। नाट्य निर्देशक अभिषेक पंडित ने एक प्रगतिशील साहित्यकार के चले जाने पर अवाक महसूस किया। श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में विजय कुमार यादव मुन्ना, रामधीरज यादव, अच्युत शुक्ला, अवधेश यादव, बृजेश सिंह, सहित आदि साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।
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