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सर्पदंश मृत्युदर में अंधविश्वास विषय पर डॉ मनोज मिश्र का शोध पत्र चर्चा में रहा

जौनपुर: वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में जनसंचार विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ मनोज मिश्र ने 21 -22 दिसंबर को भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली में आयोजित 17वें भारतीय विज्ञान संचार सम्मेलन में सर्पदंश मृत्युदर में अंधविश्वास की भूमिका -एक अध्ययन विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। यह शोध पत्र लगातार दो दिनों तक सम्मेलन की चर्चा में शामिल रहा और इसके निष्कर्ष को देश में लागू करने की सिफारिश सम्मेलन द्वारा की गई है । निस्केयर -सीएसआईआर , भारतीय जनसंचार संस्थान ,इंडियन साइंस राइटर्स एसोसिएशन ,विज्ञान भारती एवं इंडियन साइंस कम्युनिकेशन सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान आयोजित भारतीय विज्ञान संचार सम्मेलन में देश के विभिन्न अंचलों से लगभग 300 से अधिक संख्या में आये हुए वैज्ञानिक ,शिक्षाविद ,पत्रकारगण ,शोधार्थी, एवं विज्ञान संचारक शामिल हुए।
डॉ मनोज मिश्र ने अपने शोध पत्र में बताया कि सर्पदंश ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य संबंधी प्रमुख समस्याओं एवं दुर्घटना में शामिल है। वैज्ञानिक विधि से इलाज की अवधारणा पर्याप्त विकसित नहीं है,ऐसे में हताहतों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना , अंधविश्वास, झोलाछाप चिकित्सक, ओझाई, झाड़-फूंक एवं जड़ी बूटी पिलाना आदि अवैज्ञानिक कारणों से सर्पदंश मृत्युदर में बढ़ोत्तरी हो रही है।
अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एवं विश्व स्वास्थ संगठन के रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि केवल भारत में अवैज्ञानिकता के चलते प्रतिवर्ष हजारों लोगों की मृत्यु सर्पदंश से होती है। उन्होंने अपने शोध पत्र में भारत में पाए जाने वाले विषैले सांपो की श्रेणियों का सचित्र वर्णन करते हुए बताया कि कुछ विषैले सांप जिसमें करैत शामिल है ,उसके दंश की पहचान नहीं हो पाती और पीड़ित ने यदि देखा नहीं है तो वह उसकी अनदेखी करता है , लक्षण देर में प्रकट होते हैं तब तक इलाज के लिए देर हो चुकी रहती है। उन्होंने अपने शोध पत्र के माध्यम से लोगों को बताया कि सर्पदंश पीड़ित को हौसला दें, उसे भागदौड़ से रोंके , सर्पदंश पीड़ित को दंश वाले स्थान से ऊपर रस्सी या कपड़े से बंधे लेकिन ध्यान रहे गांठ बहुत गहरी न हो।सर्प दंश पीड़ित को ठीक होने के प्रति अस्वस्थ करें। सर्पदंश पीड़ित को बेहतर चिकित्सा के लिए तुरंत आधिकारिक चिकित्सक के पास ले जाएँ एवं पीड़ित व्यक्ति के दिखने एवं महसूस होने वाले लक्षणों के बारे में बताएं। उन्होंने बताया कि सर्पदंश पीड़ित के दंश वाले स्थान पर चीरफाड़ ,मुंह से चूसना ,बर्फ की सेकाई ,मालिश या मसाज और स्वयं से कोई जड़ी-बूटी -रसायन या इलाज न करें और न ही सलाह दें। अपने निष्कर्ष एवं संस्तुति में डॉ मिश्र ने लोंगो को बताया कि देश के ग्रामीण समाज के स्वस्थ जीवन को सुधारने में विज्ञान संचार की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। विविध -विपुलता -बहुलता,भाषा -शैली और संस्कृति की विविधता वाले देश भारत में केवल विज्ञान संचार ही एक बहु उपयोगी माध्यम है जो स्थानीय स्तर पर व्यवहार एवं दैनिंदिन जीवन में लागू कर ऐसे समस्याओं से सहजता पूर्वक निजात दिला सकता है। डॉ मनोज मिश्र ने अपने अध्ययन के केंद्र बिंदु में जनपद के बख्शा गांव निवासी सर्प दंश पीड़ित लक्ष्मी प्रसाद उपाध्याय तथा विकास खंड के आम जन मानस एवं सांपो को लेकर समाज में व्याप्त अवैज्ञानिकता का निवारण कर रहे विशेषज्ञ मुरारी यादव के प्रयासों को शामिल किया था।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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