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आजमगढ़ की आबोहवा दिल्ली से ज्यादा प्रदूषित,संस्था की मॉनिटरिंग में मिले चौकाने वाले आंकड़े



100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान का दावा, देश के शीर्ष प्रदूषित शहरों में आजमगढ़ शामिल

आजमगढ़ : डब्लू एच ओ की मानकों की तुलना में 11 गुणा ज्यादा प्रदूषित है अपना आजमगढ़, जबकि भारत सरकार के अनुसार 6 गुणा प्रदूषित , यह दावा गुरुवार को 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान की ओर से एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन कर किया गया। इस सम्मलेन में आजमगढ़ की हवा में रोजाना घुलने वाले जहर पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी जारी की गयी। 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान की ओर से श्री राजदेव चतुर्वेदी, रवि शेखर और तारीक शफीक ने बताया रिपोर्ट को क्लाइमेट एजेंडा, ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान और ताबीर संस्था द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया है । आजमगढ़ के वायु प्रदूषण के गंभीर हालात पर यह रिपोर्ट जारी करते हुए रवि शेखर ने बताया कि जिले के 9 अलग अलग जगहों पर 9 और 10 दिसंबर 2017 को हवा में मौजूद प्रदूषण के कणों पीएम् 10 और पी एम् 2.5 को मापा गया। नरौली क्षेत्र में शाम के समय जो आंकड़े लिए गए, वो बेहद चौकाने वाले रहे। यहां पी एम् 10 कण अधिकतम 537 रहा जो की विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों की तुलना में 11 गुणा ज्यादा प्रदूषित है। वहीं, पी एम 2.5 की मात्रा अधिकतम 324 रही जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 10 गुणा ज्यादा जहरीली है।रवि शेखर ने बताया कि जीयनपुर में पी एम् 10 एवं पी एम 2.5 की मात्रा क्रमशः 491 और 291 पायी गयी जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता मानकों की तुलना में 8 गुणा व 10 गुणा प्रदूषित है। उन्होंने बताया कि तीसरे नंबर पर आजमगढ़ में सबसे ज्यादा प्रदूषित क्षेत्र पहाडपुर रहा, जहां पी एम् 10 और पी एम 2.5 की मात्रा अधिकतम 482 और 355 पायी गयी, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 10 गुणा और 12 गुणा हानिकारक है। पी एम् 10 और पी एम् 2.5 के बारे में विस्तार से बताते हुए 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान के स्थानीय संगठनकर्ता श्री राजदेव चतुर्वेदी ने बताया कि यह कण सीधे मानव स्वास्थ्य के नुक्सान से जुड़े हुए हैं। पी एम् 10 कण धूल कणों से निर्मित होता है, जबकि पी एम् 2.5 कण का निर्माण कोयला, डीजल, पेट्रोल और कूड़ा जलने से होता है। इसमें, कई प्रकार के गैसों और सीसा, पारा, कैडमियम आदि भारी तत्वों की मौजूदगी रहती है। इसलिए, डाक्टरों और वैज्ञानिकों ने इसे हार्ट अटैक, कैंसर, अस्थमा, एलर्जी जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बताया है। वातावरण में मौजूद इन कणों के कारण ही श्वांस रोगी और अस्थमा के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान के स्थानीय सहयोगी श्री तारीक शफीक ने ऐसे गंभीर हालात से निपटने के तरीके सुझाए और केंद्र व राज्य सरकार से आग्रह किया कि इन सुझावों को अमल में लाये बगैर वायु प्रदूषण से निजात संभव नहीं है। 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश निरंतर सौर ऊर्जा, स्वच्छ इंधन, सार्वजनिक परिवहन की मजबूती, कचरा प्रबंधन और 100 प्रतिशत हरियाली की मांग कर रहा है. इन 5 उपायों को अपनाने के साथ साथ, एक क्षेत्रीय स्वच्छ हवा नीति बनाए जाने की आवश्यकता है, जिसके अंतर्गत यह निर्दिष्ट हो कि वर्तमान स्वास्थ्य आपातकाल जैसी परिस्थितियों से निपटने के लिए सरकार व नागरिकों की और से क्या क्या पहल की जानी चाहियें. इस रिपोर्ट के माध्यम से वक्ताओं ने यह भी मांग कि आजमगढ़ में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु गुणवत्ता जांच के लिए कम से कम एक मशीन लगाई जाये, जिससे आजमगढ़ जिले के नागरिकों को यह पता चल सके कि वे कितनी प्रदूषित हवा में सांस लेने को विवश हैं। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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