आजमगढ़ : शहर कोतवाली क्षेत्र के शेखपुरा गांव निवासी वीरेंद्र चौहान 2008 में यूनाइटेड अरब अमीरात के शारजहां शहर में गया और वहां राजगीर का काम करने लगा था। चार नवंबर 2011 को हंसी मजाक के दौरान वीरेंद्र की मनबढ़ों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। इस मामले में बिहार के धर्मेंद्र, पंजाब के रविंदर सिंह, रणजीत सिंह, दलबिंदर सिंह और सुच्चा सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। शारजाह की अदालत ने इन आरोपियों को फांसी की सजा सुनाकर उन्हें जेल में बंद करवा दी। इधर वीरेंद्र की मौत के बाद घर का बोझ उसकी पत्नी प्रमिला चौहान के ऊपर आ गया। धनाभाव के चलते उसके एक बेटा और पांच बेटियों की पढ़ाई रुक गई। बेटा एक दूकान पर मजदूरी करने लगा। एक-एक दिन काटना मुश्किल था। इस दौरान प्रमिला न्याय के लिए जिले के सभी छोटे-बड़े नेताओं का दरवाजा खटखटाई लेकिन किसी ने उसकी पीड़ा नहीं सुनी। कुछ दिन पहले प्रमिला के घर पंजाब के एक सामाजिक कार्यकर्ता पहुंचे और प्रमिला से सुलह-समझौते की पेशकश करते हुए ब्लड मनी के तौर पर 20 लाख रुपये देने की बात कही। अपने सगे संबंधियों से रायमशविरा के बाद प्रमिला ने हामी भर दी और सुलहनामे पर अंगूठा लगा दी। प्रमिला का कहना है कि मेरे पति अब इस दुनिया में नहीं रहे, उनकी गैरमौजूदगी में एक बेटा और पांच बेटियों की परवरिश मैं किस तरह से कर रही हूं, इसका दुख मैं ही समझ सकती हूं। ऐसे में इन रुपयों से वह बेटियों की शादी अच्छे से कर सकती है। जो होना था वह हो गया। अब किसी की जान लेने से उसके पति जिंदा नहीं हो जाएंगे। क्योंकि मेरा सुहाग तो गया, पर मैं दूसरी बहन की मांग क्यों सूनी होने दें। प्रमिला के इस फैसले के बाद पांच भारतीय हत्यारों को यूनाइटेड अरब अमीरात की सरकार ने ना केवल माफ कर दिया बल्कि उन्हें जल्द भारत भेजने की तैयारी कर रही है।
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