आजमगढ़ : जिले का आलू अब विदेश में भी किसान बेच सकते हैं। यदि विदेश नहीं तो गैर प्रदेश जहां आलू के अच्छे दाम मिल रहे हैं, वहां की मंडियों में बेचा जा सकता है। इसके लिए सरकार आलू के निर्यात पर अनुदान देगी। प्रदेश में आलू का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है। उचित भंडारण और बिक्री की व्यवस्था न होने से ज्यादा उत्पादन से भी किसानों को अक्सर नुकसान होता है। बावजूद इसके जिले में न तो नए शीतगृह खुले न ही और भंडारण की उचित व्यवस्था ही हुई। उधर, सही दाम न मिलने से किसान परेशान हैं। दाम बढ़ने के इंतजार में आलू शीतगृहों में ही पड़ा रहता है। इसे देखते हुए सूबे की सरकार ने आलू किसानों को काफी राहत दी। सरकारी खरीद होने से मार्च-अप्रैल में किसानों को कुछ राहत मिली लेकिन फिर दिक्कत शुरू हो गई। सरकार ने मंडी शुल्क माफ किया और अब निर्यात पर अनुदान का निर्णय लिया है। पहले काफी प्रयास के बावजूद निर्यातकों को लागत बहुत पड़ती थी। महंगा होने से विदेश में उत्तर प्रदेश के आलू की मांग नहीं होती थी। अब सरकार 50 रुपये प्रति क्विंटल ब्रांडिंग और 200 रुपये प्रति क्विंटल निर्यात पर अनुदान देगी। यदि किसान या व्यापारी दूसरे प्रांत में ही आलू बेचना चाहते हैं तो 300 किमी दूरी के बाहर 50 रुपये प्रति क्विंटल या कुल का 25 फीसद अनुदान परिवहन पर देय होगा।
किसान या व्यापारी कैसे करेंगे आवेदन विदेश या गैर प्रांत में आलू बेचने के लिए परिवहन पर अनुदान के लिए किसानों को मंडी परिषद में आवेदन करना होगा। इसके लिए शीतगृह से आलू निकासी की पर्ची, किस देश या प्रांत में बेचना है वहां का नाम, कितने क्षेत्रफल में करते हैं आलू की खेती (केवल किसानों के लिए), आधार कार्ड, बैंक पासबुक की छाया प्रति के साथ आवेदन करना होगा। उसके बाद निर्यात हो जाने पर भुगतान किया जाएगा। “किसानों व व्यापारियों के लिए आलू निर्यात पर अनुदान लागू हो गया है। जो भी किसान इसका लाभ उठाना चाहते हैं वे मंडी परिषद में आवेदन कर दें। --बालकृष्ण वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी, आजमगढ़।
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