मेहनाजपुर :आजमगढ़ : थाना क्षेत्र के तियरा गांव में शनिवार की रात को एक वृद्ध ने अपने ध्वस्त मकान में विषाक्त पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। उसके पास से एक सुसाइड नोट मिला। जिसमें उसने आत्महत्या का कारण पड़ोसियों पर प्रशासन की मदद से मकान गिरवाने व परिजन को जान से मारने की दी जा रही धमकी से आहत होने की बात का उल्लेख किया है। उसने सुसाइड नोट में मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री से परिजनों को बचाने की गुहार लगायी है। तहसीलदार के अश्वासन पर परिजन दूसरे दिन पुलिस को शव उठाने दिया। मृत वृद्ध के पुत्र की तहरीर पर पुलिस ने गांव के ही एक महिला समेत चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। तियरा गांव निवासी 65 वर्षीय हरिहर सिंह पुत्र स्व. राजाराम सिंह का गांव में पुराना मकान है। वह कुछ अर्से पूर्व गांव के बाहर अपना एक नया मकान बनवाया था। परिवार के लोग पुराने मकान में ही रहते हैं। परिजन का कहना है कि शनिवार की देर शाम को हरिहर सिंह घर से लोटा लेकर निकले थे। प्रशासन द्वारा गिराए गए मकान पर पहुंच कर हरिहर ने विषाक्त पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। कुछ देर बाद किसी ग्रामीण ने पुराने मकान पर हरिहर को मृत पड़ा देख परिजन को बताया। खबर पाकर परिजन के साथ ग्रामीण भी मौके पर पहुंच गए। सूचना पाकर इस बीच मेहनाजपुर थाने की पुलिस भी आ गई। छानबीन के बाद पुलिस ने मृत हरिहर के जेब से एक सुसाइड नोट बरामद किया। सुसाइड नोट में हरिहर ने मकान गिरने व पड़ोसी से मिल रही धमकी से आहत होने की बात का उल्लेख किया है। सुसाइड नोट मिलने के बाद आरोपितों पर कार्रवाई की मांग को लेकर परिजन पुलिस को शव उठाने से रोक दिया। उनकी मांग थी कि मौके पर वरिष्ठ अधिकारी आए और आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई करें। शनिवार को बारिश होने के चलते पुलिस के अनुरोध पर परिजन शव को लेकर पुराने मकान पर पहुंच गए। दूसरे दिन शाम को तहसीलदार लालगंज कृष्ण मोहन सिंह मौके पर पहुंचे। तहसीलदार के अश्वासन के बाद परिजन ने पुलिस को हरिहर के शव को हाथ लगाने की अनुमति दी। शव को पुलिस ने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। तियरा गांव निवासी हरिहर के परिजनों की माली हालत ठीक नहीं है। वह खेती कर किसी तरह से अपने परिवार का गुजर बसर करता था। गांव में पुराना मकान जर्जर हालत में हो गया था। परिजनों के रहने के लिए हरिहर ने नया मकान बनाने का बड़े अरमान से सपना संजो रखा था। अपने जीवन भर की कमा कर रखे गए जमा पूंजी को हरिहर ने गांव के बाहर दो कमरे का मकान बनवाने में खर्च कर दिया था। मकान की दीवार तैयार होने के बाद छत ढलवाने के लिए उसके पास रुपये का अभाव हो गया। रुपये न होने से हरिहर नए मकान का छत नहीं लदवा सका। वह छत के स्थान पर टीन शेड रखा हुआ था। इस नए मकान पर भी पड़ोसियों की नजर लग गई थी। हरिहर के पुत्र रामानन्द का कहना है कि 27 जुलाई को पड़ोसियों की शिकायत पर लालगंज तहसीलदार, लेखपाल, कानूनगों व पुलिस फोर्स के साथ तियरा गांव पहुंचे। प्रशासन ने ग्राम समाज की जमीन बताते हुए उसका नव निर्मित मकान को ध्वस्त करा दिया। जबकि मकान के ध्वस्तीकरण के पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई नोटिस व सूचना नहीं दी थी। मकान के साथ ही हरिहर के सपने भी धाराशायी हो जाने से वह काफी दुखी रहते थे। सूत्रों के अनुसार हरिहर सिंह ने आत्महत्या करने से पूर्व दो पन्ने का एक सुसाइड नोट लिखा है। उसके पास से मिले सुसाइड नोट पर श्रीमानजी के संबोधन से शुरूआत है। आगे उल्लेख है कि मैं हरिहर सिंह अपनी जान सिर्फ इसलिए दे रहा हूं कि लोग मेरे परिजन को जान मारने की धमकी दे रहे हैं। मेरे पास न पैसे हैं न कोई सिफारिश है। मेरा मकान बरसात में गिरा दिया गया है। मै नीतू सिंह का ससुर हूं। मेरे पास कोई आसरा नहीं है। इसलिए मैं आत्महत्या कर रहा हूं। श्रीमान मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री जी से निवेदन है कि मेरे परिवार को बचा लिजिए। आगे मारने वाले का नाम लिखा है। उसके आगे उल्लेख किया है कि इन्ही के बोलने से सब हो रहा है। इसमें मेरे परिवार का कोई गलती नहीं है।


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