आजमगढ़ : चार दशक तक आॅचलिक पत्रकारिता के प्रखर हस्ताक्षर व राष्ट्रीय हिन्दी समाचार पत्र ‘‘रणतूर्य’’ के संस्थापक, सम्पादक बाबू जी (स्व0 धनुषधारी सिंह) की पांचवी पुण्यतिथि ठण्डी सड़क स्थित विवेकानन्द कालोनी के प्रधान कार्यालय में बुधवार को बेहद सादगीपूर्ण महौल में मनायी गयी। इस अवसर पर नगर के प्रबुद्ध वर्ग व पत्रकारिता जगत के लोगों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रंद्धासुमन अर्पित किये और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। रणतूर्य परिवार के कृष्ण कुमार सिंह ने पत्रकार पिता के सम्मुख श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें आंचलिक पत्रकारिता का एक सजग प्रहरी बताया और उनके द्वारा किये गये अमूल्य कार्यो को याद किया। बाबू जी के सान्निध्य में पत्रकारिता का ककहरा सीखे देवेन्द्र सिंह ने भावुक होकर कहा कि ‘‘प्रेस कार्यालय में वह सिर्फ और सिर्फ एक सम्पादक के रूप में होते और कहा करते कि मैं यहा तुम्हारा पिता न होकर समाज और राष्ट्र का एक जवाबदेह व्यक्ति हूॅ। किसी प्रकार की भाषायी त्रुटि अथवा विषय पर सपष्ट लेखनी न होने पर वह कठोरता से पेश आते तो वही प्यार से कमियों को सुधार का रास्ता भी समझाते।’’ उनके सबसे छोटे पुत्र व प्रधान सम्पादक राजकुमार सिंह ने उनकी मुस्कुराती हुई तस्वीर पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धा का शीश नवाया और कहा कि ‘‘वह एक दूरदर्शी, अध्यवसायी, सामाजिक सरोकारों से जुड़े हुए जन पत्रकार के रूप में सदैव याद किये जायेंगे। उनका मिशन पत्रकारिता और लोक कल्याण ‘रणतूर्य’ का अन्तिम उद्देश्य है। जिसे निरन्तर और निर्बाध रूप से आगे ले जाना मेरे जीवन का परम लक्ष्य है। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे। उनकी प्रेरणायें ही हमारे लिए ऊर्जा के स्रोत है। महेन्द्र सिंह ने उन्हें एक कुशल वक्ता, चिन्तक, निर्भिक पत्रकार के रूप में याद किया और कहा कि आज के वर्तमान युग में ऐसे पत्रकारों का अभाव सा हो गया है। श्रद्धांजली सभा में उपस्थित एजाज़ जोगी ने श्रद्धासुमन अर्पित कर बाबू जी के साथ व्यतीत उन छणों को याद करते हुए कहा कि ‘‘वह एक कुशल पारखी और शिल्पी व्यक्ति थे उनके सम्पर्क में आते ही चिन्तन और कलन की दिशा तय हो गयी। निश्चित ही वह एक अदभुत चरित्र और व्यक्तित्व के प्रतिमूर्ति थे। आज उनकी शिक्षायें ही हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है। इस अवसर पर रणतूर्य परिवार के नन्हे मुन्हे बच्चे और कार्यालय के समस्त कर्मी उपस्थित होकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित किये।
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