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रमजान में रोजा रखकर खुद तो इफ्तार करें ही दूसरों को भी कराएं

मुबारकपुर/आजमगढ़: जावेद हसन अंसारी : मदरसा इस्लामिया अशरफिया सिकठी मुबारकपुर के प्रधानाचार्य मौलाना डा.मो तुफैल मिस्बाही फरमाते है कि इस्लाम में जकात सदका व खैरात की बहुत अधिक ताकीद आई है कि वह लोग जो अल्लाह के दिए हुए माल को अल्लाह की राह में खर्च करते हैं, कुरान पाक में इनको परहेजगार कहा गया है। उन्होंने कहाकि सदका दो किस्मे वाजिब है और नफिल है। जकात का सम्बन्ध सदका वाजिब से है, जिस तरह मुसलामानों पर नमाज फर्ज है उसी तरह हर मुसलमान पर जो साढ़े 52 तोला चांदी और या इसकी कीमत का मालिक है तो इस पर ढाई फीसद के हिसाब से जकात निकालना फर्ज है । आज लोग जकात निकालने में बहुत सुस्ती करते हैं। कुरान व हदीस में जकात न निकालने की सख्त अजाब की खबर दी है। उन्होन बताये कि रोजेदार को एक माह में रोजा रखने के फायदा हासिल होते हैं इनमे तकवा,सब्र कबुलियत दुआ आदि शामिल हैं। रोजा अमली शकर की बेहतरीन मिशाल है उन्होंने लोगों को रमजान के दूसरे तीसरे अशरे में मगफिरत हासिल करने और जहन्नम से निजात के लिए इबादत करने पर जोर दिया । उन्होंने कहाकि रमजान में रोजा रखकर खुद भी इफ्तार करे और दूसरे को भी अपने दस्तर खान पर इखलाक व मोहब्बत के साथ इफ्तार कराये । अल्लाह पाक अपने रोजेदार बन्दों के इस अमल से खुश होता है और इनाम से नवाजता है। मदरसा अशरफिया दारुल कजा सिराजुलं के प्रधानाचार्य हाफिज नफीस अहमद अंसारी मिस्बाही ने कहाकि रमजानुल मुबारक का महीना कुरान अजीम का महीना है इस मुबारक महीने में अल्लाह पाक ने कुरान पाक नाजिल किया। हमे रमजान की मुबारक माह में खूब तिलावत करना चाहिए उन्होंने कहाकि रमजानुल मुबारक के कल अय्याम दुआ कबूल होती है अल्लाह अपने बन्दों की हर दुआ कबूल करता है। कहाकि रमजान की फजीलत ब्यान करते हुए कहाकि जकात अदा करना सब पर फर्ज है।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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