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मिर्गी का दौरा एक मेडिकल इमरजेंसी है परंतु पूर्णतः ठीक होने वाला रोग है - डॉ डी डी सिंह



आजमगढ़ :एपिलेप्सी, जिसे हिंदी में मिर्गी भी कहते हैं। यह दिमाग की प्रवृत्तियों में अचानक होने वाले अनियंत्रित परिवर्तन हैं। ये इस बात के प्रतीक हैं कि दिमाग में कोई समस्या मौजूद है। मिर्गी रोग एक अतिसंवेदनशील विषय है। समाज में इस रोग को अति हीन भावना की दृष्टि से देखा जाता है। परंतु मिर्गी तो पूर्णतः ठीक होने वाला रोग है।
डॉ डी डी सिंह ने बताया कि अचानक मुख पर या शरीर के किसी एक हिस्से में या दोनों हिस्सों में फड़कन होना या अकड़न होना, अल्प समय के लिए हाथों को मोड़ना, कुछ समय के लिए बेहोश होते रहना या उल्टियां आना, पलकों को बार-बार झपकाना या व्यवहार में बदलाव आना, बार-बार ध्यान भंग होना, एक ही जगह पर टकटकी लगाए देखते रहना, लार टपकाना एवं मलाशय या मूत्राशय पर नियंत्रण खो देना आदि मिर्गी के लक्षण हैं।
डॉ डी डी सिंह ने समझाया कि बच्चों में तेज बुखार होने से (ज्वर मिर्गी), शराब के अधिक सेवन करने से या अचानक बंद करने से, मस्तिष्क में चोट लगने से, लकवा होने से, मस्तिष्क में टीबी का संक्रमण होने से, मस्तिष्क में कृमि के लार्वा(एनसीसी) होने से, शरीर में नमक, शक्कर या कैल्शियम की कमी होने से, मस्तिष्क में ट्यूमर होने से, मस्तिष्क ज्वर से, मस्तिष्क में जन्म के समय ऑक्सीजन व रक्त की कमी से या जन्मजात विकृतियों से और आनुवंशिकता मिर्गी के प्रमुख कारण हैं।
डॉ डी डी सिंह ने दौरे के उपचार पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस स्थिति में धैर्य रखना चाहिए और मरीज के आसपास भीड़ होने से रोकना चाहिए। मरीज को सीढियाँ, सड़क, आग, तालाब, बहते पानी, पुल या अन्य किसी भी हानिकारक जगह से धीरे से हटाना चाहिए। मरीज के हाथ या मुँह में लोहे की चम्मच, कैंची, कील, चाकू न थमाये अन्यथा इससे मरीज को गंभीर हानि हो सकती है। मरीज को आसानी से पेट के बल पर लिटाकर करवट दिलाएं, ताकि मुँह में यदि कोई तरल पदार्थ मौजूद हो तो बाहर निकल सके। मिर्गी के दौरान मरीज के मुँह में बलपूर्वक कोई खाद्य पदार्थ या अन्य वस्तु न डालें। मरीज को करवट लिटा दें और उल्टियाँ होने दें। मरीज को पूरी तरह सचेत होने तक उसके साथ रहें।
डॉ डी डी सिंह ने यह भी बताया कि दौरे पड़ने के बाद तुरंत नजदीकी अस्पताल में लेकर जाएं और मिर्गी के प्रकार के बारे में डॉक्टर को विस्तार से बताएं। यदि मरीज मिर्गी की दवा लेता हो तो डॉक्टर की सलाह के बिना उन्हें बंद न करे।
डॉ डी डी सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि मिर्गी का दौरा अब एक मेडिकल इमरजेंसी है। दौरे पड़ने की स्थिति में मरीज का ईईजी/सीटी स्कैन एवं एमआरआई कराकर मिर्गी के कारण एवं प्रकार को सुनिश्चित किया जाना चाहिए और तुरंत आवश्यक उपचार शुरू कराकर दौरे को नियंत्रित अवश्य करना चाहिए क्योंकि लम्बे समय तक दौरे पड़ने पर मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होती रहती है, जो कि मरीज के लिए हानिकारक है।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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