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याग और समपर्ण की मूर्ति थे स्व0 अवधबिहारी श्रीवास्तव

आजमगढ़: आरएसएस के प्रचारक स्व. अवधबिहारी श्रीवास्तव की याद में शुक्रवार को नगर के रोडवेज स्थित हाल में गोष्‍ठी का आयोजन किया गया। इसमें स्‍व. श्रीवास्‍तव के कृतित्‍व व व्‍यक्तित्‍व चर्चा की गई। लोगों ने उन्‍हें त्‍याग और समपर्ण की मूर्ति बताया। इस अवसर पर साहित्यकार कन्हैया सिंह ने कहा कि स्व. अवध बिहारी श्रीवास्तव ने आजमगढ़ के पल्‍हनी में एकलव्य बनवासी छात्रावास की स्थापना कई दशक पूर्व किया था। जनपद के पारा गांव जिवली में एक बड़े ही सभ्रांत परिवार में जन्मे श्रीवास्तव ने अपनी स्नातक तक की शिक्षा के पश्चात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के रूप से अपना जीवन समर्पित कर दिया। अविवाहित रहकर उन्होंने सुल्तानपुर आदि कई जिलों में काम करने बाद आजमगढ़, मऊ, बलिया, गाजीपुर के विभाग प्रचारक के रूप में कई वर्षो तक कार्य किया। आपातकाल में उन्हें बंदी बनाकर जेल में रखा गया। इसके बाद उन्होंने बनवासी कल्याण आश्रम योजना की नीवं रखी। वे त्याग की मूर्ति थे और अजातशत्रु थे। अंत में दो मिनट का मौन रखकर गतात्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। जिसकी अध्यक्षता दयाशंकर सिंह व संचालन आनंद मोहन श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर विजेन्द्र सिंह, अशोक कुमार अग्रवाल, रवि प्रताप सिंह, बद्री प्रसाद गुप्ता, डा बीके सिंह, प्रवीण सिंह, अरूण आदि उपस्थित थे। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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