आजमगढ़: समाजिक संगठन अशोक सेवा संस्थान उ.प्र. के तत्वाधान में जनप्रिय धम्म प्रिय चक्रवर्ती सम्राट अशोक की जयन्ती मंगलवार को समाहरोहपूर्वक मनायी गयी। सर्वप्रथम संस्थान के कैम्प कार्यालय कुशवाहा कैम्पस एलवल से भव्य शोभा यात्रा निकाली गयी, जो शहर के विभिन्न मोहल्लों से होते हुए कलेक्ट्रेट कचहरी स्थित रिक्शा स्टैण्ड पर सभा के रूप में परिवर्तित हो गयी। संस्थान के अध्यक्ष रामसुधार मौर्य ने सम्राट अशोक के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज से 22 सौ वर्ष पूर्व सम्राट अशोक के त्याग तथा सुलभ न्याय की आवश्यकता थी, जिसकी प्रासंगिकता आज उससे अधिक है। समाज में व्याप्त भय, भूख व भ्रस्टाचार के वातावरण को समाप्त करने तथा जनता को सुलभ एवं सस्ता न्याय दिलाने के लिये शासक वर्ग को जनता के प्रति समर्पित होना होगा। जिस तरह सम्राट अशोक जनता की समस्याओं को सुनने तथा निदान के लिये अपने को चौबीस घण्टे उपलब्ध रहते थे। उसी प्रकार आज शासक वर्ग प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री तथा प्रशासन के लोगों को उपलब्ध रहना चाहिये। इस प्रकार का वतावरण किया जाना चाहिये जिससे जनता भयमुक्त होकर अपनी समस्या सुना सके। फौजदार आनन्द ने कहा कि सम्राट अशोक के शासन काल में समता विचार धारा का पालन होता था। घरों में ताले नहीं लगाये जाते थे, सभी नागरिकों को मुफ्त दवाइयां मिलती थी। सड़को के किनारे पैदल चलने वाले राहगीरों के लिए वृक्ष लगवाये गये थे। सर पर बोझ ले जाने वाले लोगों को अपना सामान रख कर आराम करने के लिये तिपाई बनवाई गयी थी। पानी पीने के लिये तालाब की व्यवस्था की गयी थी। आज पुनः उसी प्रकार सम्राट अशोक जैसे राज्य की आवश्यकता है जिससे समाज से भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सके। पूर्व सांसद बलिहारी बाबू ने कहा कि गौतम बुद्ध ने बुद्धुत्व को प्राप्त करने के लिये स्वयं की सोच को गहराईयों में लाये और बुद्धुत्व को प्राप्त किया। इस अवसर पर भन्ते सहजानन्द, भन्ते कश्यप, मन्कू कुशवाहा, डा. सत्यराम, राजेश यादव, बबिता गौतम, बच्चे लाल, डा. शिवधनी मौर्या, राजकुमार गुप्ता, साधू शरण मौर्य, करूणाकान्त मौर्य, डा. प्रेम प्रकाश कुशवहा, रविकान्त मौर्य, सत्यदेव मौर्य, मधुकर, डा.सतिराम, इन्द्रदेव मौर्य आदि लोग उपस्थित रहे। अध्यक्षता रामसुधार मौर्य व संचालन त्रिभुवन प्रसाद ने किया।
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