आजमगढ़। राहुल सांकृत्यायन स्मृति केन्द्र के तत्वावधान में विगत 40 वर्षो से प्रति वर्ष 9 अप्रैल को आयोजित प्रख्यात भाषा विद्, विष्व विख्यात महान यायावर, दार्षनिक महापंडित राहुल सांकृत्यायन की 124वीं जयन्ती इस वर्ष भी दो चरणों में श्रद्धा पूर्वक मनायी गयी। प्रथम चरण में महापंडित राहुल सांकृत्यायन के नेहरू हाल कलेक्ट्रेट स्थित प्रतिमा पर जनपद के बुद्धिजीवियों द्वारा माल्यार्पण करने के उपरान्त एक पद-यात्रा राहुल जी के सिधारी हाईडिल चौक स्थित द्वितीय प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सम्पन्न हुई। इस अवसर पर राहुल जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत चर्चा की गयी। संस्था के अध्यक्ष पं. अमरनाथ तिवारी ने अपने सम्बोधन में राहुल जी के सम्पूर्ण जीवन वृत पर प्रकाष डालते हुए कहा कि उन्होनें हिन्दी साहित्य जगत में जो स्थान स्थापित कर लिया है वह अतुलनीय है। अध्यात्म और दर्शन के क्षेत्र में इनका योगदान अनुकरणीय है। श्री तिवारी ने बताया कि राहुल सांकृत्यायन स्मृति केन्द्र ने इनके शताब्दी वर्ष 1993 में जनपद के विभिन्न स्थानों पर इनकी प्रतिमाओ को स्थापित कराने का कार्य किया था साथ ही डाक विभाग द्वारा डाक टिकट भी जारी करवाया था। वरिष्ठ साहित्यकार डा. कन्हैया सिंह ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए बताया कि राहुल जी का कथा साहित्य अतुलनीय है। सतमी के बच्चें पुस्तक में राहुल जी की मानवीयता झलकती है। कार्यक्रम का संचालन संस्था के महामंत्री प्रभुनारायण पाण्डेय‘प्रेमी’ ने किया। इस अवसर पर विनोद श्रीवास्तव, रवीन्द्र नाथ त्रिपाठी, दीपक अग्रवाल, डा. आर.पी.सिंह, भारत रक्षा दल के प्रदेष उपाध्यक्ष हरिकेष विक्रम श्रीवास्तव, मो. अफजल, निषीथ रंजन तिवारी, राजन अस्थाना, अमित गुप्ता, रजनीष श्रीवास्तव, आर.पी.श्रीवास्तव, राजू पंडित, षषिप्रकाष राय, योग गुरू देवविजय यादव एवं पतंजलि योग पीठ के अनेक योग गुरू उपस्थित रहे।
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