आजमगढ़ :मौसम मे हुये बदलाव (गर्मी के महीने) के कारण पिछले दिनो कुछ आगजनी की घटनायें प्रकाश मे आयी है जिसको ध्यान मे रखते हुए, आवश्यक दिशा-निर्देश अग्निशमन अधिकारी व कर्मचारीयो को देते हुये जनपद मे व्यवस्थित फायर स्टेशन के नम्बर तथा आग से बचाव के उपाय तत्काल जनपदवासियों को जनहित मे उपलब्ध कायी जा रही है ताकि आगजनी से होने वाले नुकशन से बचा जा सके। उपरोक्त विषय मे अवगत कराना है कि जनपद-आजमगढ़ मे वर्तमान समय में निम्नलिखित तीन फायर स्टेशन स्थायी रूप से कार्यरत है- 01- फायर स्टेशन ब्रहमस्थान, आजमगढ़। संचार का माध्यम-टेलिफोन नम्बर-101 व 05462-266822 सी0यू0जी0 नं0-9454418366 (सी0एफ0ओ0), 9454418617(एफ0एस0ओ), 9454418618(कन्ट्रोल रूम) वायरलेस सेट भी उपलब्ध है। 02- फायर स्टेशन बूढनपुर, आजमगढ़- संचार का माध्यम-9454418619(कन्ट्रोल रूम), 9454418620(एफ0एस0ओ), वायरलेस सेट भी उपलब्ध है। 03- फायर स्टेशन लालगंज, आजमगढ़। संचार का माध्यम-9454418621(एफ0एस0ओ), 9454418622(कन्ट्रोल रूम), वायरलेस सेट भी उपलब्ध है। उपरोक्त के अतिरिक्त निम्नलिखित अस्थायी रूप से संचालित सीजनल फायर स्टेशन स्थापित किये गये है। जो 30 जून तक 2017 तक वही रहेंगे- 01- सीजनल फायर स्टेशन रौनापार, आजमगढ़ (थाना-रौनापार मे स्थापित है) संचार का माध्यम-थाना-रौनापार का फोन नम्बर-9454402923 व वायरलेस सेट द्वारा। 02- सीजनल फायर स्टेशन फूलपुर, आजमगढ़ (तहसील-फूलपुर, परिसर मे स्थापीत है) संचार का माध्यम-थाना-फूलपुर का फोन नम्बर-05460-230473 व वायरलेस सेट द्वारा। आग से बचाव के उपाय 01-ग्रीष्मऋतु में तेज हवा (लू) चलने के कारण विद्युत के ढीले तार आपस मे टकराकर शार्ट सर्किट के कारण चिन्नगारी उत्पन्न होती है जिससे आग लग जाती है। कृपया विद्युत के ढीले तारो को दो खम्भो के बीच में दो या तीन जगहो पर सुखी लकड़ी, बाॅस की फट्टी आदि बॅधवा देने से तार आपस मे नही टकरायेंगे। 02- धूम्रपान करने के उपरान्त बचे टुकड़े को बिना बुझाये इधर-उधर न फेंके, इससे भी आग लगती है। 03- चूल्हे की गर्म राख को कूडे़ के ढे़र या घूरे मे ना फेंके, इसकी गर्मी से जल्दी जलने वाली वस्तुयें जैसे- कपड़ा, सुखे पत्ते, डंण्ठल आदि जल जाती है और आग लग जाती है। अतएव राख को ठण्डी कर के ही बाहर फेंके। 04-विद्युत के तारों के नीचे, आग के भठ्ठी के समीप आदि जगहो पर खलिहान न बनाये। खलिहान पानी के स्रोत के निकट बनाये। 05-रसोई घर की दीवार व छत घास-भूस के ना बनाये। यदि बनाये भी तो उसपर मिट्टी का लेप लगा दें, इससे जल्दी से आग नही लग पायेगी।
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